भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और उनके कार्यकाल में हुईं भर्ती हुए सरकारी कर्मचारियों के लिए तनाव भरी खबर है। कार्यकाल के दौरान हुईं नियम विरुद्ध भर्तियों की लिस्ट तैयार कर ली गई है। जल्द ही वो हाईकोर्ट में पेश कर दी जाएगी। इसक आदेश हाईकोर्ट की ओर से ही दिया गया था। इसके लिए बीते शुक्रवार को सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों की बैठक हुई थी। इसमें करीब 45 विभागों ने जानकारी दे दी है। इसकी रिपोर्ट जल्द ही सीलबंद लिफाफे में महाधिवक्ता के माध्यम से हाईकोर्ट को सौंपी जाएगी।
सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जल संसाधन विभाग के इंजीनियर अरुण तिवारी विरुद्ध मनसुखलाल प्रकरण में हाईकोर्ट ने सभी विभागों में नियमों के खिलाफ भर्ती की पड़ताल शुरू की थी। इसके खिलाफ नगरीय निकायों के लोग सुप्रीम कोर्ट चले गए थे।
स्थगन के कारण विभागों में नियम विरुद्ध भर्ती की पड़ताल थम गई थी। कुछ माह पहले सुप्रीम कोर्ट में याचिका खारिज हो गई। इसके आधार पर महाधिवक्ता ने हाईकोर्ट को पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के लिए सभी विभागों की साझा रिपोर्ट मांगी थी। इसके मद्देनजर सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागों को पत्र लिखकर रिपोर्ट मांगी पर इसमें लापरवाही बरती जा रही।
11 अक्टूबर को विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रभांशु कमल की ओर से विभाग प्रमुखों को अर्द्ध शासकीय पत्र लिखकर 13 तारीख को बैठक बुलाई थी। विभाग के कड़े तेवर को देखते हुए अधिकारियों ने आनन-फानन में जानकारी एकत्र कर सौंप दी। सूत्रों का कहना है कि निर्माण विभाग के साथ निकाय, निगम, मंडल और प्राधिकरण में ऐसी कई नियुक्तियां पाई गईं है, जिनमें भर्ती नियमों का पालन नहीं हुआ।
विस भर्ती मामला कोर्ट में
उधर, विधानसभा में नियमों को ताक पर रखकर हुई नियुक्तियों के मामले में पुलिस जांच कर चालान अदालत में प्रस्तुत कर चुकी है। नियुक्तियां पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में हुई थीं। तीन-चार अधिकारियों की सेवाएं तो समाप्त हो गई हैं पर कुछ कर्मचारी अभी भी काम कर रहे हैं। इस मामले की जांच विधानसभा सचिवालय ने जस्टिस शचींद्र द्विवेदी से कराई थी। रिपोर्ट के आधार पर सचिवालय ने जहांगीराबाद थाने में एफआईआर कराई थी।