नई दिल्ली। मप्र में कांग्रेस के चेहरे की तलाश जारी है। हर तलाश ज्योतिरादित्य सिंधिया के आसपास जाकर रुक जाती है। सिंधिया, राहुल गांधी की पसंद हैं और काफी कुछ ऐसा है जो उन्हे सीएम कैंडिडेट घोषित करने के लिए पर्याप्त कारण उपलब्ध कराता है। कमलनाथ भी उनके नाम का समर्थन कर चुके हैं, फिर भी मामला अटका हुआ है क्योंकि खबर आ रही है कि दिग्विजय सिंह किसी भी कीमत पर सिंधिया के नाम पर तैयार नहीं हो रहे हैं।
कांग्रेस चाहती है कि मध्यप्रदेश और राजस्थान में पंजाब की तर्ज पर चुनाव लड़ा जाए। जनता के सामने उम्मीदों का एक चेहरा हो। राजस्थान में सचिन पायलट का नाम लगभग फाइनल है परंतु पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सीनियर लीडर सीपी जोशी भी ठीक वैसे ही रोड़े बने हुए हैं जैसे मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह। कांग्रेस के एक बड़े वर्ग का कहना है कि यदि सीएम कैंडिडेट घोषित नहीं किया तो चुनाव जीतना मुश्किल हो जाएगा।
मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह समर्थक एवं सिंधिया विरोधी चाहते हैं कि यहां कांग्रेस बिना चेहरे के चुनाव लड़े। इससे कांग्रेस एकजुट दिखाई देगी और शिवराज सिंह का मुकाबला कर पाएगी। हालांकि पिछले 5 विधानसभा चुनाव भी कांग्रेस ने ऐसे ही लड़े हैं। मध्यप्रदेश में यह आरोप भी लगते रहते हैं कि शिवराज सिंह सरकार ने कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं को पोषित कर रखा है। उनका काम केवल इतना ही है कि वो किसी भी तरह से कांग्रेस को एकजुट होने से रोकें एवं ऐसे हर फैसले में टांग अड़ा दें जो शिवराज सिंह को नुक्सान पहुंचा सकता हो।