नई दिल्ली। गुजरात के गांधीनगर में दलित युवक को मूंछ रखने पर दबंगों द्वारा ब्लेड मारने का मामला फर्जी है। 17 साल के दलित युवक ने केवल सनसनी फैलाने और खुद को मीडिया की सुर्खियों में लाने के लिए ऐसा किया था। पुलिस का कहना है कि दलित युवक ने खुद यह स्वीकार कर लिया है। गांधीनगर पुलिस और फॉरेंसिक टीम की जांच में घटनास्थल से कोई ब्लेड बरामद नहीं हुआ। आसपास के लोगों ने भी ऐसी किसी वारदात की जानकारी से इंकार कर दिया। साथ ही पुलिस को किसी हमलावर या उनकी गाड़ी का सुराग तक नहीं मिला। इससे पहले दलित युवक ने शिकायत की थी कि मूंछ रखने के कारण उच्च जाति के लोगों से उसे पीटा और ब्लैड से काटा।
मामले की जांच कर रही गांधीनगर पुलिस ने कहा कि लड़के दिंगत माहेरिया ने पूछताछ के दौरान स्वीकार किया कि मीडिया में आने के लिए उसने यह झूठी कहानी गढ़ी थी। हालांकि उसने कहा कि उसके कजन कृणाल माहेरिया और एक दूसरे लड़के पर हमले की बात सही है। आपको बता दें कि दिंगत के झूठे दावों से पहले दलित लड़कों पर दो हमलों की बात सामने आई थी। इसके बाद गुजरात के अलावा पूरे देश में विरोध का दौर शुरू हो गया था। फेसबुक पर भी दलित युवाओं द्वारा राइट टु मुस्टैच अभियान शुरू किया गया था।
रिपोर्ट के अनुसार कजन कृणाल पर हुए हमलों के बाद सोशल मीडिया में दलितों पर हमला हॉट टॉपिक बन चुका था। इसी को देखते हुए दिंगत ने यह नाटक को अंजाम दिया। जब उसने अपने दोस्तों से ब्लेड मारने की बात कही तो उन्होंने मना कर दिया और कहा कि लाठी का इस्तेमाल करना ज्यादा सही रहेगा। हालांकि दिंगत ने उन्हें कहा कि लाठी से मार की बात ज्यादा सनीसनीखेज नहीं लगेगी। इसके बाद उसने 10 साल के बच्चे की मदद से ब्लेड मंगवाया और 3 अक्टूबर की शाम को इस नाटक को अंजाम दिया।
पुलिस टीम ने कथित वारदात स्थल पर मौजूद पानवाले से भी पूछताछ की थी। उसने भी किसी घटना के होने से इनकार किया था। पुलिस ने दिंगत के कहने पर उसपर हमला करने वाले युवक और उसके परिवार वालों से भी पूछताछ की। उन्होंने भी यह बात कबूल कर ली है।
आपको बता दें कि इससे पहले पीयूष परमार और कृणाल माहेरिया की मूंछे रखने के चलते उच्च जाति के युवकों द्वारा पिटाई किए जाने की घटना सामने आई थी। इस मामले के झूठी साबित होने के बाद पुलिस का कहना है कि अब वह पीयूष और कृणाल के केस में भी अच्छे से जांच करेगी।