
सरकार ने भी अब या तो सुधार के कदम घोषणा की हैं या फिर आरोपों का इस तरह जवाब देने की कोशिश की है। उसका उद्देश्य आगे की राह मुश्किल न होका अभी से प्रबंध करना है। शुरुआत में मोदी सरकार के एक राज्य मंत्री ने यह बताने की कोशिश की कि कैसे सरकार के उपायों से अर्थव्यवस्था की विकास दर बढ़ी है और निवेश बहाल हुआ है। भाजपा के कुछ नेताओं ने अखबारों में लेख लिखकर सिन्हा के दावों को चुनौती दी। यहां तक कि मोदी ने भी सरकार के आर्थिक प्रदर्शन की आलोचना करने वालों को आड़े हाथ लिया। भाजपा नेतृत्व ने वेबसाइट की रिपोर्ट का त्वरित जवाब देते हुए सभी आरोपों को खारिज किया और वेबसाइट के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की बात कही।
इन सभी मामलों में सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आक्रामक जवाब दिया। सरकार की इस स्थिति के लिए परेशानी सही शब्द है। जब किसी पायलट को यह आभास होता है कि उसके समक्ष आ रही परेशानी से यात्रियों की सुरक्षा को खतरा पैदा हो सकता है तो वह इससे उबरने के लिए तुरंत सभी जरूरी कदम उठाता है। लेकिन अगर वह असामान्य रूप से आक्रामक और त्वरित कदम उठाता है तो यह जोखिम की गंभीरता का परिचायक है।
यह मानना सही है कि भाजपा नेतृत्व भी पिछले कुछ सप्ताह की घटनाओं से आसन्न जोखिम को भांप रहा होगा। सरकार भले ही अर्थव्यवस्था की बदहाली से लाख इनकार करे लेकिन इतना तय है कि उसे भी कुछ गंभीर स्थिति नजर आ रही है तभी तो वह सुधार के उपाय कर रही है। सवाल यह है की सरकार हमले के बाद ही क्यों चेतती है। सब कुछ सामान्य गति से चले इसकी कोशिश हर सरकार को करना चाहिये।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।