जैन मुनि ने कहा था मां-बाप को जिंदा देखना है तो कपड़े उतारो

Bhopal Samachar
नई दिल्ली। बलात्कार के मामले में गिरफ्तार किए गए जैन मुनि शांतिसागर के बारे में कई खुलासे हो रहे हैं। बताया जा रहा है कि जैन मुनि की पीड़िता पर काफी समय से नजर थी और वो इस तरह की हरकतें भी कर रहे थे। एक बार शांति पाठ के नाम पर उसके फोटो मांगे, फिर तांत्रिक क्रियाओं से मनोकामनापूर्ति के लिए न्यूड फोटो भी मांगा। इसके अलावा दक्षिणा के नाम पर उसका डांस भी कराया। यह खुलासा देश के प्रतिष्ठित हिंदी अखबार दैनिक भास्कर ने किया है। 

भास्कर का कहना है कि पीड़िता ने लीगल काउंसलर, गाइनेकोलॉजिस्ट और साइकोलॉजिस्ट के जरिए उसके पास तक पूरी कहानी पहुंचाई है। 19 साल की विक्टिम के मुताबिक, "31 मार्च को मांडवी में पहली बार मैं परिवार के साथ आचार्य शांतिसागर से मिली। उनके प्रवचन से हम सब मंत्रमुग्ध हो गए। उनसे शिष्य बनाने का आग्रह किया। फिर धार्मिक शिक्षा शुरू की। धीरे-धीरे शांतिसागर मुझे एसएमएस और वॉट्सऐप करने लगे। सुख और कामयाबी के लिए जाप करने को कहा। बीच-बीच में फोन भी करते।"

लड़की ने बताया कि दो महीने पहले शांतिसागर ने फोन कर कहा, "तुम्हारी सुख-शांति के लिए जाप करना है। अपनी फोटो भेजो।" उनके कहे मुताबिक मैंने फोटोज वॉट्सएेप कर दिए। दोबारा फोन कर उन्होंने कहा, "मुझे दोस्त समझना। अपनी एक न्यूड फोटो भेजो। विधि में इसकी भी जरूरत है। इसके बाद शांतिसागर बार-बार वॉट्सएेप करने लगे। जब चातुर्मास के लिए सूरत आए, तो हम सबको भी बुला लिया। तब तक किए विधि-जाप की दक्षिणा के तौर पर मुझसे डांस करवाया।

बकाैल विक्टिम, "13 दिन पहले मुझे फोन करके जाप के लिए सूरत बुलाया। कहा कि रात में रुकना पड़ेगा। रात को उन्होंने जमीन पर एक घेरा खींचकर मम्मी-पापा को उसमें बैठा दिया। भाई को दूसरे कमरे में बैठाया। मेरे शरीर पर मोर पंख फेरकर अपने साथ अंदर ले गए। वहां मुझसे पूछा, तुझे क्या चाहिए? मैंने कहा, माता-पिता और मैं खुश रहूं।"

उन्होंने कहा, "ठीक है। मैं जैसा कहूं, वैसा करो। फिर मुझसे कपड़े उतारने को कहा। मैं हिचकी तो बोले, मां-बाप को सुखी देखना है तो उतारो, नहीं तो वे मर जाएंगे। इसके बाद जैन मुनि शांतिसागर ने बत्ती बुझा दी और डराकर फिजिकल रिलेशन बनाने पर मजबूर किया। फिर कहा, "किसी को बताया तो तुम्हारे मां-बाप मर जाएंगे। मैं घबराकर भाई के कमरे में गई और कहा कि यहां से निकलते हैं। वडोदरा लौटते वक्त परिवार को आपबीती सुनाई।"

काउंसलिंग के बाद लिया केस दर्ज कराने का फैसला
विक्टिम ने आगे बताया, "अगले दिन हम वडोदरा में वकील से मिले। उन्होंने शिकायत करने और चेकअप करवाने को कहा। गाइनेकोलॉजिस्ट की जांच में जबरदस्ती किए जाने की बात कन्फर्म हुई। उन्होंने भी शिकायत करने की सलाह दी। हम डरे हुए थे कि जैन मुनि के खिलाफ शिकायत करने पर समाज क्या करेगा। इसी बीच एक साइकोलॉजिस्ट की काउंसलिंग से मुझे हिम्मत मिली। मैंने पिता से कहा कि मुनि को सजा दिलवानी है। हम वडोदरा महिला थाने गए। डीजीपी क्राइम के सरोज कुमार ने सूरत की एसीपी विधि चौधरी से बात की। फिर सूरत आकर शिकायत दर्ज करवाई। मैं चाहती हूं कि धर्म के नाम पर ऐसा करने वाले मुनि को सजा मिले, ताकि किसी और लड़की के साथ ऐसा ना हो।

मंदिर प्रबंधन ने विक्टिम के पिता पर ही लगाया आरोप
महावीर दिगंबर जैन मंदिर के ट्रस्टी आरजी शाह ने दावा किया कि 29 सितंबर को परवटपाटिया में पीछी बदलने के लिए 2.99 करोड़ रुपए की बोली लगी थी। विक्टिम के पिता ने शांति सागर से 40% कमीशन मांगा था। नहीं देने पर बेटी से गलत शिकायत करवा दी। शांतिसागर पर इसी मंदिर में रेप करने का आरोप है।

मुनि बनने से पहले शांतिसागर की चाय की दुकान थी
शांतिसागर बचपन से लेकर जवानी तक एमपी के गुना डिस्ट्रिक्ट में ताऊजी के साथ रहे। उनके एक दोस्त ने बताया कि पहले उनका नाम गिरराज शर्मा था। उनका परिवार कोटा में रहता था। पिता सज्जनलाल शर्मा वहीं पर हलवाई थे। शांतिसागर की कोटा में चाय की दुकान थी। 

दोस्त ने बताया कि गिरराज मौज-मस्ती में जीने वाला था। खूब क्रिकेट खेलता था। पढ़ाई में एवरेज था। उनके दोस्तों का ग्रुप शहर में उन दिनों के सबसे फैशनेबल युवाओं का था। कपड़े हों या हेयर कट, नए ट्रेंड को सबसे पहले यही ग्रुप अपनाता था।

गिरराज 22 साल की उम्र में मंदसौर में जैन संतों के कॉन्टैक्ट में आए। पढ़ाई अधूरी छोड़कर वहीं 1993 में आचार्य कल्याण सागर से दीक्षा लेकर गिरराज से शांतिसागर बन गए। संन्यासी बनने के तीन दिन पहले वह गुना आए थे। दो दिन बिताने के बाद कभी गुना नहीं लौटे। जैन समाज के लोगों के मुताबिक, उन पर टोने-टोटके के आरोप भी लगे। विरोधियों को कहते थे कि तुम्हें कबूतर बना दूंगा।

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