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पं. गौतम के मुताबिक बादलों के कारण अगर चंद्रमा दिखाई न दे तो शुभ मुहूर्त में पूजन किया जा सकता है। इसके लिए चौकी सजाएं। उस पर लाल कपड़े के ऊपर चावल से चांद की आकृति बनाएं। ओम चतुर्थ चंद्राय नमः मंत्र का जाप कर चंद्रमा का आह्वान करने के बाद विधि-विधान से पूजन कर व्रत पूरा किया जा सकता है। पं गौतम ने बताया कि शास्त्रों में इस बात का उल्लेख है कि गर्भवति, बुजुर्ग एवं रोगी महिलाओं के लिए चंद्र दर्शन अनिवार्य नहीं है।
पति को सर उठा कर देखें, बाल्यावस्था के चांद का न करें पूजन
ज्योतिषाचार्य पं.विनोद गौतम ने बताया कि व्रत खोलने की जल्दी में चांद के उगते ही उसका पूजन नहीं करना चाहिए। उगते समय चांद बाल्यावस्था में होता है। ऐसे में चंद्रमा का पूजन करने से व्रत का पूरा फल नहीं मिलता। चांद के पूरी तरह से परिपक्व हो जाने एवं जब उसकी किरणें पूरी तरह से दिखने लगें तब ही पूजन करना चाहिए। पूजन के दौरान इस बात का विशेष ध्यान सुहागनों को रखना चाहिए कि वे अपने पति को भी उसी तरह सिर उठाकर देखें जैसे चांद को देखती हैं। इसके लिए पति को छोड़ा ऊंचाई पर भी खड़ा किया जा सकता है।