आरती के प्यार में अंबुज भी जज बन गया

Bhopal Samachar
भोपाल। ताकत किसी को झुका पाए या ना झुका पाए परंतु प्यार कुछ भी करवा सकता है। यह भी एक ऐसी ही कहानी है। अंबुज पांडेय भोपाल में असिस्टेंट डिस्ट्रिक्ट प्रॉसीक्यूशन ऑफिसर हैं। शादी आरती शुक्ला से हुई जो सीहोर में डिस्ट्रिक्ट लीगल एंड ऑफिसर हैं। शादी के पहले से ही आरती डिस्ट्रिक्ट जज परीक्षा पास करना चाहती थी। शादी के बाद उसने अंबुज को अपने दिल की बात बताई। आरती के प्यार में अंबुज ने भी पढ़ाई शुरू कर दी। दोनों एक साथ परीक्षा की तैयारी करते थे। दोनों 15-15 घंटे लगातार पढ़ाई करते थे। वे कई रात सोए नहीं। बता दें, शादी के पांच साल बाद ये कपल एक साथ एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज के लिए सिलेक्ट हुए हैं। आरती शुक्ला पांडेय ने तीसरी रैंक हासिल की वहीं उनके हसबैंड अंबुज ने इस एक्जाम में 15 रैंक लगी है। 

आरती के मुताबिक, हमारे घर में स्टार्टिंग में एक्जाम प्रिपरेशन को लेकर सही माहौल दिया गया। ज्युडिशियरी में इंट्रेस्ट होने की वजह से हमें लगता था कि हम जज भी बन सकते हैं। शादी के बाद मैंने पति को भी इस एग्जाम में अपीयर होने के लिए मोटिवेट किया। हम दोनों सब्जेक्ट याद हो जाए इसके लिए एक एक कर टॉपिक को मोबाइल में ऑडियो रिकॉर्ड कर लेती थी। घर से ऑफिस जाते वक्त हम कार में म्यूजिक की बजाय मेरी वॉइस में रिकॉर्डेड ऑडियो सुनते थे। 

बेटा कहता था जज बनना है तो पढ़ाई करो
आरती सीहोर डिस्ट्रिक्ट में डिस्ट्रिक्ट लीगल एंड ऑफिसर हैं वहीं अंबुज भोपाल में असिस्टेंट डिस्ट्रिक्ट प्रॉसीक्यूशन ऑफिसर हैं। दोनों 15-15 घंटे लगातार पढ़ाई करते थे। वे कई रात सोए नहीं है। आरती के मुताबिक उनकी इस सक्सेस का पूरा श्रेय उनके चार साल के बेटे अस्तित्व को जाता है। आरती बताती हैं जब अंबुज और वे लॉ के सब्जेक्ट पढ़ते पढ़ते थक जाते थे और लगने लगता था कि अब प्रिपरेशन छोड़ देना चाहिए। वो हमें हरिवंशराय बच्चन की कविता सुनाकर मोटिवेट करता था। कविता सुनाने के बाद कहता था कि अगर जज बनना है तो पढ़ाई करें।

हो गया पेपर... अब चलो मुझसे बातें करो
आरती के मुताबिक पूरे-पूरे दिन हम पढ़ाई करते और अस्तित्व चुपचाप कमरे में झांक कर स्माइल करता और वापिस लौट जाता। कितने ही दिन वह हमारे बगैर कमरे में अकेला सोया है, क्योंकि हमें रातभर जगकर पढ़ाई करना होता था। जिस दिन हमारा पेपर था, उस दिन के शब्द तो आज भी कानों में गूंजते हैं। हम एग्जाम देकर लौटे तो अस्तित्व ने कहा, ‘हो गया पेपर... अब चलो मुझसे बातें करो’।

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