
पता चला है कि इस संगठन की शुरूआत एक अच्छे लक्ष्य को लेकर हुई थी। तय किया गया था कि मध्यप्रदेश भर के आॅटो मोबाइल डीलर्स को संरक्षण प्रदान किया जाएगा, उनके हितों की लड़ाई लड़ी जाएगी लेकिन इसके बाद बात आई गई हो गई। कुछ सालों तक इसकी गतिविधियां हुईं परंतु फिर सब ठंडा पड़ गया। भोपाल से प्रकाशित अखबार प्रदेश टुडे ने दावा किया है कि पिछले 5 साल से इस कथित संगठन की कोई वार्षिक बैठक ही नहीं हुई और ना ही इसका विधिवत पंजीयन कराया गया।
मैं अध्यक्ष नहीं हूं, महेन्द्र चौधरी से बात कीजिए
प्रदेश टुडे ने आरोप लगाया था कि वरेण्यम ग्रुप के डायरेक्टर विशाल जौहरी मध्यप्रदेश स्टेट आटो मोबाइल एसोसिएशन के स्वयंभू अध्यक्ष बने हुए हैं। भोपाल समाचार ने जब उनसे इस बारे में बात की तो उन्होंने इससे साफ इंकार कर दिया। जौहरी का कहना है कि मध्यप्रदेश स्टेट आटो मोबाइल एसोसिएशन के अध्यक्ष महेन्द्र चौधरी हैं, संगठन के संदर्भ में उन्ही से बात कीजिए।
मैं अध्यक्ष नहीं हूं, महेन्द्र चौधरी से बात कीजिए
प्रदेश टुडे ने आरोप लगाया था कि वरेण्यम ग्रुप के डायरेक्टर विशाल जौहरी मध्यप्रदेश स्टेट आटो मोबाइल एसोसिएशन के स्वयंभू अध्यक्ष बने हुए हैं। भोपाल समाचार ने जब उनसे इस बारे में बात की तो उन्होंने इससे साफ इंकार कर दिया। जौहरी का कहना है कि मध्यप्रदेश स्टेट आटो मोबाइल एसोसिएशन के अध्यक्ष महेन्द्र चौधरी हैं, संगठन के संदर्भ में उन्ही से बात कीजिए।
पिकनिक पार्टियां कर सकते हैं कानूनी कार्रवाई नहीं
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर के एडवोकेट अमित चतुर्वेदी का कहना है कि इस तरह के संगठन हर रोज बनते बिगड़ते रहते हैं। इनकी कोई कानूनी वेल्यू नहीं होती। ये किटी पार्टी जैसे होते हैं। इनके बैनर लगाकर पिकनिक पार्टियां की जा सकतीं हैं। कुछ गरीबों को भोजन बांटकर अखबारों में फोटो छपवाए जा सकते हैं परंतु ऐसे संगठन कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकते।