
बता दें कि अतिथि शिक्षक लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि उन्हे भी गुरुजियों की तरह नियमित किया जाए। उत्तरप्रदेश में शिक्षामित्रों का मामला उलझा हुआ है जबकि दिल्ली में नियमितीकरण के लिए केजरीवाल सरकार फैसला ले चुकी है। चुनावी साल में शिवराज सिंह सरकार अब सभी वर्गों की नाराजगी दूर करने का प्रयास कर रही है माना जा रहा है कि यह फैसला इसी के चलते लिया गया। सरकार को उम्मीद है कि इसका लाभ चुनाव में जरूर मिलेगा।
इससे पहले अतिथि शिक्षकों में काफी आक्रोश देखा जा रहा हैं 2017 में शुरू हुए शिक्षा सत्र में अतिथि शिक्षकों की नियुक्तियों का विवाद गहराया हुआ है। अतिथि शिक्षकों का वेतन अटका हुआ है। नियुक्ति प्रक्रिया के नाम पर उन्हे इस साल काफी परेशान किया गया है फिर भी अतिथि शिक्षक अब तक धैर्य रखे हुए हैं।