
उपरोक्त स्पष्टीकरण के पैरा क्रमांक 2 एवं 3 से याचिककर्ता व्यथित थे। वित्त विभाग द्वारा जारी दिशा निर्देश के अनुसार, लेखा पाल, सीधी भर्ती का पद नही है एवं शत प्रतिशत पदोन्नति से भरा जाने वाला पद है, अतः वित्त विभाग के आदेश दिनांक 24.01.2008 के परिपालन में लेखापालों को द्वितीय समयमान वेतनमान नही दिया जा सकता है। माननीय हाईकोर्ट ने सुनवाई के पश्चात पाया कि वित्त विभाग की विसंगति पूर्ण नीति के कारण, कनिष्ठ, सहायक ग्रेड 2 उच्चत्तर वेतनमान प्राप्त कर रहे हैं।
अतः वित्त विभाग का स्पष्टीकरण दिनांक 13.11.2009 के पैरा क्रमांक 2 एवम 3, अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन है, अतः याचिककर्ता को द्वितीय समयमान का लाभ दिनांक 01.04.2006 या 20 वर्ष पूर्ण होने पर से बकाया राशि सहित दिया जाए। संयुक्त संचालक 90 दिवस के भीतर अनुमोदन करेंगे। चर्चा के दौरान श्री अमित चतुर्वेदी , याचिका कर्ता के अधिवक्ता द्वारा बताया गया है कि कई प्रकरणों में पूर्व से लेखापाल को द्वितीय समय का प्राप्त लाभ, संयुक्त संचालक की आपत्ति के कारण, निरस्त कर, वेतनमान का पुनर्निधारण किया जा रहा है एवं परिणामस्वरूप वसूली की जा रही है, जो कि विधिविरुद्ध है।