आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा या रास पूर्णिमा कहा जाता है। इस दिन लक्ष्मी जी का समुद्र से जन्म हुआ था। इसीलिये इस दिन को महालक्ष्मी जन्मदिवस के रूप मे मनाया जाता है। इस दिन लक्ष्मीनारायण की पूजा भी की जाती है इस पूर्णिमा को कोजागिरी पूर्णिमा भी कहते है। इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं मे रहता है। वैसे तो सभी पूर्णिमा मे चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं मे रहता है। पर यह पूर्णिमा स्वास्थ्यप्रद, धनवर्धक तथा मन को आनंदित करने वाली है। इस दिन से शरद ऋतु का प्रारंभ होता है, सबसे खास बात यह है की इस दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है।
स्वास्थ्य के खास
चंद्रमा को औषधीष कहा जाता है। पुराने समय मे आयुर्वेद के जानकार वनस्पति जड़ीबूटियों को चंद्रतिथियों के घटने और बढ़ने के अनुसार ही कोई औषधि देते थे। जिससे मरीज को दी गई औषधि अमृत के समान कार्य करती है। इसके विपरीत चंद्रतिथि औऱ औषधि का गलत सामंजस्य उसी औषधि को ज़हर के रूप मे परिवर्तित कर देती थी। शरद पूर्णिमा को चंद्रमा अपने जीवनदायी अमृतमय स्वरूप मे रहता है। इस दिन किसी उत्तम आयुर्वेदचार्य की सलाह पर ली गई दवा तेजी से स्वास्थ्य सुधारती है।
अस्थमा रोग निवारण
अस्थमा जैसी बीमारी को ठीक करने के लिये आयुर्वेद चिकित्सक ओस दिन को सर्वश्रेष्ठ मानते है। इस दिन अस्थमा की औषधि को खीर मे मिलाकर रात भर चंद्रमा के सामने रखकर सुबह खाने से बीमारी का नाश होता है। इस दिन चंद्रजनित सभी रोग जैसे अस्थमा, सर्दीखासी अलर्जी आदि के निवारण के लिये भी दवा ली जा सकती है।
दूर्योगो का निवारण
सभी जीवित प्राणियों का जीवन मन के अनुसार ही चलता है। चंद्रमा सभी जीवों के मन का स्वामी होता है। कुंडली मे चंद्रमा कमजोर होने से मातृकष्ट, मानसीक तथा भौतिकसुख मे कमी, जीवन मे रुकावट, निराशा तथा आत्महत्या की भावना आती है। एक तरह से यूं कह सकते है की चंद्र बिगडा तो सब बिगडा। शरदपूर्णिमा तथा हर पूर्णिमा को व्रत करने सफेद नमक रहित खानपान करने तथा भगवान भोलेनाथ और सत्यनारायण की कथा करने से सभी प्रकार की समस्याओं का नाश होता है। जीवन मे सुख और समृद्धि का आगमन होता है। मन प्रसन्न रहता है।
राधाकृष्ण कृपा
शरदपूर्णिमा के दिन ही कृष्ण ने राधाजी तथा अन्य गोपियों के साथ महारास किया था इसीलिये इसे रासपूर्णिमा भी कहते है। इस दिन भगवान राधाकृष्ण की रात्रि के समय विधिविधान से पूजन करने से भजन उत्सव आदि करने से जातक पर राधाकृष्ण को कृपा होती है। भगवान श्रीकृष्ण चूँकि चंद्रवंशी है इसीलिये इस दिन कृष्णपूजा विशेष फलदायी होती है।
लक्ष्मी कृपा
शास्त्रों के अनुसार इस दिन लक्ष्मीजी का जन्म हुआ था। चंद्रमा और लक्ष्मीजी दोनो समुद्र से पैदा हुए। इसीलिये दोनो भाईबहन के समान है। शरदपूर्णिमा के दिन श्री सूक्त द्वारा लक्ष्मी अनुष्ठान करने पर जातक पर लक्ष्मी की पूर्ण कृपा होती है।
कैसे करें
शरद पूर्णिमा का कोई भी अनुष्ठान दिन मे बारह बजे के बाद ही शुभ माना जाता है। लक्ष्मीपूजन तथा अन्य अनुष्ठान रात्रि मे भी किये जा सकते हैं। इस दिन दूध तथा उससे बने पदार्थों का भोग लगाये, खीर को रातभर चंद्रकिरणों मे रखने के पश्चात सुबह भगवान को भोग लगाकर कन्याओं को भोग लगाकर खुद सेवन करें। इस दिन रात्रि जागरण कर चंद्रमा की किरणो का सेवन करने का विशेष महत्व है। जितना हो सके चंद्रमा को निहारे साथ ही अपने इष्टदेव का मंत्रजाप करें।
सभी राशियों के लिये उपाय
*मेष*-इस दिन खीर का भोग लगाकर चंद्रमा के पूजन के साथ लक्ष्मी नारायण व शिव का पूजन कर स्वयं की मां को प्रसन्न करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
*वृषभ*-भगवान कृष्ण का जन्म इसी राशि मे हुआ था, इस दिन कृष्णपूजा कर मां का आशीष लेने से जीवन मे प्रसन्नता का आगमन होता है साथ ही दिव्यप्रेम की प्राप्ति होती है।
*मिथुन*-खीर का भोग बनाकर चंद्रकिरणो मे रात भर रखने और सुबह माता दुर्गा को भोग लगाकर कन्याओं को जिमाने से जीवन मे श्रेष्ठ सफलता प्राप्त होती है।
*कर्क*-इस राशि वालों के लिये यह दिन खास है इस दिन वे व्रत रखें भगवान शिव का पूजनपाठ अभिषेक अपनी मां के साथ करें उनके सभी मनोरथ पूर्ण होंगे।
*सिंह*इस दिन व्रत कर भगवान लक्ष्मीनारायण का पूजनव्रत करने से व्यापार व जीवन मे खास सफलता प्राप्त होती है।
*कन्या*-खीर का प्रसाद पूर्ण रात्रि चंद्रकिरणो मे रखने के पश्चात सुबह कन्या को भोजन कराने से व्यापार मे धनलाभ तथा सफलता प्राप्ति का योग बनता है।
*तुला*-इस दिन व्रत करने से राज्य मे मान सम्मान तथा प्रतिष्ठा बढ़ती है साथ ही व्यापार नौकरी मे वृद्धि होती है।
*वृश्चिक*-इस राशि के लिये इस दिन व्रत पूजन शिवअभिषेक शिव जप करने से परम शौभाग्य की प्राप्ति होती है।
*धनु*-इस दिन व्रत करने से मानसिक भय का नाश होता है साथ ही स्वास्थय मे सुधार होता है।
*मकर*-शरद पूर्णिमा के दिन व्रत करने से मनपसंद जीवनसाथी की प्राप्ति तथा उत्तम व्यापार प्राप्त होता है।
*कुम्भ*-इस दिन व्रत करने से रोग बीमारी तथा शत्रु का नाश होता है जीवन मे सफलता मिलती है।
*मीन*-इस दिन व्रत करने से संतान,मित्र,शिक्षा तथा उत्तम मान सम्मान की प्राप्ति होती है।महत्व के कार्यों मे आपका चयन होता है।
इस दिन ये न करें
तामसिक मांसाहारी भोजन से दूर रहें।
मां को दुख न दे। उसकी सेवा करें।
जलस्थानों को दूषित न करें।
*प.चंद्रशेखर नेमा"हिमांशु"*
9893280184,7000460931