भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं हैं। यह पहली बार हो रहा है जब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरुद्ध संवैधानिक और प्रमुख पदों पर बैठे हुए नेता बयान जारी कर रहे हैं। शिवराज सिंह ने ऐलान किया है कि वो दीपावली के अवसर पर पटाखे भी चलाएंगे। उनका कहना है कि पर्यावरण महत्वपूर्ण है, लेकिन परंपराएं अपनी जगह हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने भोपाल या मध्यप्रदेश में बैन नहीं लगाया है, बावजूद इसके इस तरह के बयान पद की गरिमा को नुक्सान पहुंचाने वाले हो सकते हैं। बता दें कि इस तरह न्यायालय के फैसलों पर बयानबाजी न्यायालय का अपमान माना जाता है। नियमानुसार यदि कोई व्यक्ति, संस्था या समाज फैसले से असहमत है तो ऐसी स्थिति में अपील करने का प्रावधान है।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर बैन के बीच मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि 'अकेले पटाखों के चलते ही प्रदूषण नहीं होता। हम मिट्टी के दीये जलाएंगे और कुछ पटाखे भी फोड़ेंगे।' शिवराज ने कहा, 'पर्यावरण महत्वपूर्ण है, लेकिन परंपराएं अपनी जगह हैं। इसलिए हम परंपरागत रूप से ही दिवाली मनाएंगे।'
बता दें कि 9 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट की ओर से पटाखों की बिक्री पर लगाए बैन का जहां कुछ लोगों ने स्वागत किया है, वहीं भाजपा से जुड़े लोगों ने इस पर निराशा जताई है। त्रिपुरा के राज्यपाल तथागत रॉय और मशहूर लेखक चेतन भगत ने इस बैन को हिंदू विरोधी करार दिया था। बैन पर पुनर्विचार की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उन्हें दुख है कि प्रदूषण से जुड़े इस मसले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में युवकों के एक समूह ने शीर्ष अदालत के बाहर ही पटाखे जलाए। मंगलवार को उस वक्त लोग हैरान रह गए, जब खुद को आजाद हिंद फौज का हिस्सा और हिंदू हेल्पलाइन का सदस्य बताने वाले युवक 'जय श्री राम' के नारे लगाते हुए निकले और शीर्ष अदालत के बाहर सी-हेक्सागन के पास पटाखे जलाने लगे। पटाखे जलते देखकर आसपास लोग तेजी से यह सोचकर भागे कि शायद यह कोई आतंकवादी हमला है। हालांकि पुलिस ने तुरंत ऐक्शन लिया और पटाखे जला रहे युवकों को कुछ मिनटों के भीतर ही हिरासत में ले लिया।