राकेश दुबे@प्रतिदिन। कल अर्थात 15 अक्तूबर को मध्य प्रदेश सरकार की 'भावांतर योजना' की तिथि आगे बढने की सम्भावना है। सरकार इस योजना के अंतर्गत जितने किसानों का पंजीयन करना चाहती थी। वह लक्ष्य पूरा नहीं हो पा रहा है। योजना की सफलता के लिए सरकार को तिलहन और दलहन उत्पादन करने वाले सभी किसानों को पंजीकृत किया जाना चाहिए था पर प्रारम्भ से ही लक्ष्य निर्धारण गलत हुआ, जो अब आलोचना का विषय बन गया है। सरकार की इस योजना में किसान रूचि भी कम ले रहे हैं। सरकारी आंकड़े अब तक 9 लाख से कुछ अधिक किसान पंजीकृत होने की बात कह रहे हैं। लक्ष्य अब तक राज्य के 50 लाख तिलहन एवं दलहन किसानों में से 40 प्रतिशत का पंजीकरण था। लक्ष्य के निर्धारण में ही कहीं चूक हुई है, राज्य में करीब 50 लाख के आसपास किसान तिलहन, दलहन और मक्के की खेती करते हैं। प्रदेश सरकार ने शुरुआती कीमत आकलनों के आधार पर इस कार्यक्रम के लिए 3000 करोड़ रुपये का बजट रखा था, लेकिन अक्टूबर से खरीफ दलहन और मक्का की कीमतों में 30 प्रतिश्त के लगभग आई कमी ने योजना को खटाई में डाल दिया है।
वैसे राज्य सरकार ने इस कार्यक्रम पर 4000 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनाई थी । यह आंकड़ा भी एक फौरी आकलन पर आधारित है कि कार्यक्रम के तहत पंजीकृत होने वाले सभी 20 लाख किसानों के बैंक खातों में कम से कम 1000 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से पैसे जमा करने की योजना थी। आकलन का आधार अक्टूबर की कीमतें थी लेकिन कीमतें गिरीं और कुल वित्तीय खर्च और गडबडाता नजर आ रहा है। मध्य प्रदेश सरकार ने इस योजना की लागत का बोझ साझा करने के लिए केंद्र से संपर्क किया केंद्र ने आधे खर्च का बोझ उठाने पर सहमति जताई है। मध्यप्रदेश सरकार का दावा है की इस प्रायोगिक परियोजना को किसानों का अच्छा समर्थन मिला है। इसके विपरीत राज्य के ज्यादातर छोटे और मझोले किसानों के पास मंडी में बेचने लायक ज्यादा उपज नहीं है। इस योजना के लिए पंजीकरण 11 अक्टूबर को बंद होना था, लेकिन इसकी अवधि कुछ दिन इसलिए बढ़ा दी गई। राज्य के अधिकारियों को व्यापक जागरूकता अभियान भी चलाना पड़ा, अब फिर तिथि बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है।
कहने को राज्य की 25000 से अधिक ग्राम पंचायतों में विशेष ग्राम सभाएं हुईं, जहां योजना के लिए किसानों का पंजीकरण किया गया। 'अब तक योजना के लिए हुए कम पंजीकरण प्रमाणित करते है कि योजना को लेकर किसानों की प्रतिक्रिया कमजोर है। कारण योजना में कई दिक्कतें हैं। 'मध्य प्रदेश में करीब 75 लाख किसान हैं, जो खरीफ के मौसम में खेती करते हैं। इनमें से धान किसानों को योजना से बाहर रखा गया है। शेष 50 लाख किसानों में से आधे सोयाबीन की खेती करते हैं, जबकि शेष मूंग, उड़द, कपास एवं अन्य तिलहन और दलहन उगाते हैं और ये ही योजना के तहत पंजीकरण कराने के पात्र हैं। इन्ही कारणों से किसान “भावांतर” को भाव नहीं दे रहे हैं।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।