पीयूष पांडेय/मंडला। सरकारी सिस्टम में मौजूद घूसखोरी से दोस्ती ना कर पाने के कारण मछरिया गांव के आदिवासी मजदूर अमरालाल को मोदी के शौचालय का पैसा नहीं मिला। गांव भर में सरकारी मदद से शौचालय बन रहे थे। अमरा ने ठान लिया कि वो भी शौचालय बनाएगा और बिना सरकारी मदद के। तिनका तिनका जोड़ा, हाड़ तोड़ मजदूरी की और धनतेरस के दिन जब लोग अपने परिवार के लिए सोना, चांदी, वाहन इत्यादि खरीद रहे थे, अमरा ने शौचालय बनाकर तैयार कर दिया।
आदिवासी मजदूर अमरा लाल ने बिना किसी सरकारी मदद के दिन-रात कड़ी मेहनत कर अपने घर में शौचालय बनाया है। दिहाड़ी मजदूरी कर जीवनयापन करने वाले अमरा लाल की मानें तो वह अपने घर में शौचालय निर्माण के लिये ग्रामपंचायत और सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटते काटते थक गया और फिर उसने खुद के दम पर शौचालय निर्माण कराने का ठान लिया। जिसके लिये उसने पिछले दो सालों से मटेरियल जुटाना शुरू किया और मटेरियल एकत्रित होने के बाद उसने अपने परिवार के सदस्यों के साथ मजदूरी कर शौचालय निर्माण किया। आज धनतेरस के दिन अमरालाल का शौचालय उपयोग के लिए तैयार हो गया।
घर में शौचालय निर्माण के बाद पूरे परिवार में ख़ुशी का माहोल है, वहीं इस मजदूर ने शौचालय निर्माण के लिये शासन प्रशासन के तमाम दावों की पोल खोलकर भी रख दिया है। गौरतलब है कि शासन द्वारा स्वच्छ भारत अभियान तथा अन्य शासकीय योजनाओं के माध्यम से शौचालय विहीन घरों में शौचालय निर्माण के लिए सहायता राशि दी जाती है परंतु इस मामले के सामने आते ही इस शासकीय योजना के समुचित क्रियान्वयन पर प्रश्न चिन्ह लग गया है।