भोपाल। लोकायुक्त एनके गुप्ता की नियुक्ति के मामले में भले ही नेताप्रतिपक्ष अजय सिंह ने मासूमियत भरी सफाई पेश कर दी हो परंतु इस बयान के बाद भी उन्हे समस्या से निजात मिलती नजर नहीं आ रही। अब अजय सिंह की योग्यता पर सवाल उठ गए हैं। संदेह किया जा रहा है कि नियुक्ति में सरकार के साथ उनकी भी मिलीभगत है। उन्हे मालूम था कि वो क्या करने जा रहे हैं, फिर भी उन्होंने सबकुछ होने दिया। यदि वो इससे अंजान थे तो फिर उन्हे नेताप्रतिपक्ष जैसे पद पर नहीं होना चाहिए।
विवेक तन्खा के बाद पूर्व लोकायुक्त जस्टिस फैजानुद्दीन ने भी सरकार और नेता प्रतिपक्ष की नीयत पर सवाल उठाए हैं। जस्टिस फैजानुद्दीन का कहना है कि सरकार के साथ ही इसमें नेता प्रतिपक्ष भी बराबर जिम्मेदार हैं। उन्होंने अपना धर्म ठीक से नहीं निभाया। उन्हें नेता प्रतिपक्ष रहने का अधिकार नहीं है। जस्टिस फैजानुद्दीन ने कहा कि सरकार ने कानून का पालन भले कर लिया हो, लेकिन नैतिकता को ताक पर रख दिया।
सरकार लोकायुक्त तय नहीं कर सकती सिर्फ अपॉइंट कर सकती है। लोकायुक्त का नाम तय करने में नेता प्रतिपक्ष ने अपना धर्म नहीं निभाया। यदि लोकायुक्त के लिए एक ही नाम आया था तो उन्होंने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाते हुए सहमति क्यों दी? इस तरह के आदमी को नेता प्रतिपक्ष होने का अधिकार नहीं है। यदि ऐसे लोग नेता प्रतिपक्ष होंगे तो चेक एंड बैलेंस कैसे होगा। सरकार ने भी लोकायुक्त की नियुक्ति में कानून का पालन भले ही किया हो, लेकिन नैतिकता का नहीं किया। सरकार तय नहीं कर सकती की कौन लोकायुक्त होगा। सिर्फ अपॉइंट कर सकती है। मेरे होते हुए तो सरकार की हिम्मत नहीं हुई।
मेरे रिटायर होने के बाद कानून में संशोधन किया। पहले सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस या हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ही लोकायुक्त हो सकते थे, फिर इसमें हाईकोर्ट जज भी शामिल कर लिए गए। जजों की लिस्ट बहुत लंबी होती है, सरकार को बहुत च्वाइस मिलती है।
(जस्टिस फैजानुद्दीन, पूर्व लोकायुक्त)