भोपाल। एनजीटी ने शहर के बीच स्थित स्लाटर हाउस शिफ्ट करने के आदेश दिए थे। नगरनिगम ने मौके का फायदा उठाते हुए स्लाटर हाउस को अत्याधुनिक कत्लखाने में तब्दील करने की रणनीति बनाई और 60 की जगह 600 जानवरों को काटने वाला कत्लखाना स्थापित करने की तैयारियां शुरू हो गईं। पूरे शहर में इसका स्वभाविक विरोध भी हुआ परंतु अब यह मामला भाजपा की गुटबाजी का हिस्सा बन गया है। भोपाल के भाजपा नेताओं के 2 गुट आमने सामने हैं। एक जो स्लाटर हाउस अपने इलाके में लगने नहीं देना चाहता और दूसरा विशेष रणनीति के तहत उसी इलाके में स्लाटर हाउस स्थापित करवाना चाहता है।
इसी गुटबाजी के चलते इन दिनों भोपाल की सड़कों पर प्रदर्शन हो रहे हैं। बीते रोज प्रदर्शनकारियों ने महापौर आलोक शर्मा, सांसद आलोक संजर और भाजपा के जिलाध्यक्ष व विधायक सुरेंद्रनाथ सिंह का पुतला जलाया। इस मौके पर कांग्रेसी भी मौजूद रहे। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि तीनों नेता मां कंकाली क्षेत्र में कत्लखाना खोलना चाहते हैं। मां कंकाली धाम के संयोजक विष्णु विश्वकर्मा ने बताया कि स्लॉटर हाउस खोलने के बाद ग्रामीण बीजेपी को वोट नहीं देंगे। अब तक 56 हजार हस्ताक्षर हो चुके हैं।
गुटबाजी क्या है
भोपाल के भाजपा नेताओं को पता है कि जिस भी इलाके में स्लाटर हाउस लगेगा। उस विधानसभा के विधायक का तीव्र विरोध होगा और उसके टिकट करने या हारने की संभावनाएं काफी बढ़ जाएंगी। बस इसी रणनीति के तहत स्लाटर हाउस के पत्थर यहां वहां हो रहे हैं। गुटबाजी के इस खेल में कत्लखाने का मूल मुद्दा ही खत्म होता जा रहा है। मुद्दा यह है कि जब भोपाल शहर में मांस की जरूरत 60 पशुओं से पूरी हो जाती है तो कत्लखाने की क्षमता 600 क्यों की जा रही है। उसे अत्याधुनिक क्यों बनाया जा रहा है। एनजीटी ने शिफ्टिंग का आदेश दिया है। अपग्रेडेशन का षडयंत्र क्यों रचा जा रहा है।