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बीजेपी के भोपाल मीडिया सेंटर से जारी बयान में विधायक श्रीवास्तव ने बताया कि कांग्रेस ने जिस तरह व्यूहरचना की थी उसी के तहत हंगामा करके पत्थर फैकते हुए अंजाम दिया। कांग्रेस कार्यकर्ताओं का इरादा कुछ अनहोनी घटना को अंजाम देने का था जो प्रशासन की सतर्कता, सजकता के कारण सफल नहीं हो सकी। श्रीवास्तव ने बताया कि हंगामे के दौरान कांग्रेसियों के हाथ में बड़े-बड़े गिट्टी के टुकड़े थे, जो रेलवे ट्रेक के पास पाये जाते हैं, इससे कांग्रेसियों की मंशा पर सवालिया निशान लग जाता है। अशांति की आशंका को देखते हुए पुलिस ने उपद्रवियों को खदेड़ा, जो पत्थरों की बरसात कर रहे थे।
विधायक का कहना है कि कांग्रेसियों द्वारा की गई पत्थरबाजी से 8-9 पुलिसकर्मी घायल भी हुए। उपद्रवी में कांग्रेसियों ने अपने कपड़े स्वयं उतारे, जनता ने देखा है कि सड़कों पर उनका प्रदर्शन पूर्व से ही आधे कपड़ों में था। शर्ट उतारकर लहरा रहे थे। उनकी मंशा पुलिस पर जबरिया आरोप थोपने की थी। हिंसा पर उतारू कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को खदेड़ते हुए पुलिस थाने ले जाया गया और स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कुछ कांग्रेसियों को लाकप में भी बंद किया गया। यह आरोप सरासर मिथ्या और गलत हैं कि उनके शरीर के कपड़े पुलिस संरक्षण में उतारे गये। उन्होंने कहा कि किसानों की आड़ में यह कांग्रेसी हंगामा पूरी तरह सुवैचारिक ढंग से अभिनीत हुआ।
विधायक श्रीवास्तव ने बताया कि कांग्रेस नेता यादवेन्द्र सिंह द्वारा प्रशासन को अपशब्द कहे गए। उपद्रव करने में उनके पुत्र युवक कांग्रेस के लोकसभा अध्यक्ष शाश्वत सिंह, कांग्रेस प्रवक्ता देवेन्द्र नापित, कांग्रेस नेता अरविन्द खटीक, ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष इसरार मोहम्मद, हबीब राईन, सुंदरपुर ग्राम के सरपंच टिंकू जैन, जसवंत नगर के भगवत यादव, ब्रजलाल घोष, मुकेश दांगी शामिल थे, वहीं कांग्रेस नेता प्रशांत नामदेव ओरछा ने स्वयं कपड़े उतारकर किसानों को बहकाने का काम किया।