भोपाल। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में भाजपा के पूर्व मंत्री कमल पटेल द्वारा दायर की गई याचिका पर मध्यप्रदेश शासन की ओर से जवाब पेश किया गया है। इस जवाब में शासन ने कमल पटेल को सीधा निशाना बनाया है। जवाब में शासन ने कहा है कि पूर्व विधायक कमल पटेल के परिजन स्वयं नर्मदा से अवैध रेत उत्खनन में संलग्न रहे हैं। पटेल व उनके परिजनों पर एक दर्जन आपराधिक प्रकरण भी पंजीबद्ध हैं। अफसरों पर दबाव बनाने के लिए भाजपा नेता ने प्रकरण नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में प्रस्तुत किया है।
नर्मदा से अवैध रेत उत्खनन के मुद्दे पर पूर्व विधायक पटेल ने ट्रिब्यूनल में मई 2017 में याचिका लगाई थी। उस पर सुनवाई के दौरान बुधवार को शासन की ओर से एडवोकेट सचिन के वर्मा ने यह जानकारी दी। एनजीटी को बताया गया कि पटेल का पूरा परिवार अवैध उत्खनन में लिप्त पाया गया। उनके बेटे का प्रकरण और साले के डंपर पकड़े जाने की जानकारी भी दी गई। इस दौरान यह भी बताया कि पटेल के परिजनों पर करीब एक दर्जन आपराधिक प्रकरण हैं। इस मामले में अब अगली सुनवाई 25 अक्टूबर को रखी गई है।
नदी के भीतर से रेत खनन
पूर्व विधायक पटेल ने एनजीटी के समक्ष अपनी याचिका में देवास और हरदा जिले में हो रहे अवैध रेत उत्खनन का मामला उठाया था। इसमें बताया गया है कि नदी में कई सड़कें बना ली गई हैं, जिन पर ट्रक खड़े होते हैं। नदी के भीतर से मशीनों द्वारा रेत खनन किया जा रहा है जो कि नियम विरुद्ध है। मामले में अधिकारियों और शासन को पार्टी बनाया गया है।
नहीं दी प्रतिक्रिया
इस संबंध में जब पूर्व विधायक पटेल से बात की गई तो उन्होंने कुछ भी प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया। वह बोले इस संबंध में मेरे वकील ही जवाब पेश करेंगे।
कलेक्टर से हो चुका है विवाद
भाजपा नेता कमल पटेल का इस मामले में तत्कालीन हरदा कलेक्टर श्रीकांत बनोठ से भी विवाद हो चुका है। विवाद के चलते कमल पटेल ने श्रीकांत बनोठ पर रेत माफियाओं को संरक्षण देने के आरोप लगाए थे। बदले में कलेक्टर ने कमल पटेल के बेटे को जिला बदर कर दिया था। कमल पटेल की लॉबिंग के बाद श्रीकांत बनोठ को हरदा से हटाया गया, फिर वापस भेजा गया। जब मामला शांत हो गया तो फिर हटा दिया गया।