राकेश दुबे@प्रतिदिन। देश की सर्वोच्च अदालत से इस फैसले की दरकार की हम राष्ट्रगान कब कहाँ और कैसे गाये ? हमारे नागरिक होने के मुंह पर तमाचा है। जिस देश, में एक रात में मुद्रा बंद करने का आदेश हो सकता है तो एक रात में राष्ट्रगान गायन और राष्ट्रीय चिन्हीं का सम्मान अनिवार्य क्यों नहीं हो सकता ? मध्यप्रदेश के श्याम नारायण चौकसे के आवेदन पर सर्वोच्च न्यायलय ने ही इसका सिनेमा शुरू होने से पूर्व वादन और प्रदर्शन के साथ खड़े होने को अनिवार्य किया था, अब सर्वोच्च न्यायलय इस पर सरकार के स्पष्ट रुख की अपेक्षा कर रहा है। ऐसा क्यों हो रहा है ? राष्ट्रगान गायन के विरोध में वे लोग है जो देश के मातृस्वरूप से परहेज बरतते है।
वैसे हर भारतीय को मालूम होना चाहिए कि संविधान सभा ने जन-गण-मन को 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रगान के रुप में स्वीकार किया, लेकिन इसका इसे पहली बार गायन 27 दिसंबर 1911 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में हुआ था। राष्ट्रगान को गाने में 52 सेकेंड का समय लगता है तथा कई अवसरों पर जब इसके लघु संस्करण (प्रथम तथा अंतिम पंक्ति) को गाया जाता है तब 20 सेकेंड का समय लगता हैं।
राष्ट्रीय गान के सम्मान के लिए बनाये गये कुछ सामान्य नियम निम्नलिखित हैं-
· राष्ट्रगान जब गाया अथवा बजाया जा रहा हो तब हमेशा सावधान की मुद्रा में खड़े रहना चाहिए।
· राष्ट्रगान का उच्चारण सही होना चाहिए तथा इसे ५२ सेकेंड की अवधि में ही गाया जाना चाहिए। संक्षिप्त रूप को २० सेकेंड में।
· राष्ट्रगान जब गाया जा रहा हो तब किसी भी व्यक्ति को परेशान नहीं करना चाहिए। अशांति, शोर-गुल अथवा अन्य गानों तथा संगीत की आवाज नही होनी चाहिये।
· शैक्षणिक संस्थानों में राष्ट्रगान होने के बाद दिन की शुरुआत करनी चाहिए।
· राष्ट्रगान के लिए कभी अशोभनीय शब्दों का उपयोग नही करना चाहिए।
· फिल्मों के प्रदर्शन के दौरान यदि फिल्म के किसी भाग में राष्ट्रगान हो तो दर्शकों से अपेक्षित नही हैं कि वे खड़े हो जायें। हां, यदि फिल्म के शुरूआत में ही सबसे पहले राष्ट्र-गान हो तब राष्ट्रगान का सम्मान करना चाहिए।
हर नागरिक को यह भी समझना चाहिए कि राष्ट्रीय सम्मान को ठेस पहुँचने से रोकने के लिये कानून-1971 के तहत कार्रवाई की जा सकती है। ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने पर जुर्माने के साथ अधिकतम तीन वर्ष की कैद का प्रावधान है। राष्ट्रगान के अपमान के लिए प्रिवेंशन ऑफ इन्सल्ट टु नैशनल ऑनर ऐक्ट-1971 की धारा-3 के तहत कार्रवाई होती हैं।
यह सब बातें स्पष्ट हैं फिर भी राष्ट्रगान और राष्ट्रीय चिन्हों के साथ कोई भी खिलवाड़ कर देता है। कोलगेट मामले में एक घोषित अपराधी अपने वाहन पर शान से राष्टीय ध्वज लगाये घूमता है, और 56 इंच का सीना दिखाने वाले चुपचाप देखते रहते है। निश्चित ही यह देश का दुर्भाग्य है कि नोट बंदी जैसे निर्णय तुरंत प्रभाव से लागू हो जाता है। राष्ट्रगान और राष्ट्र सम्मान के विषय अदालत में सरकारी शपथ पत्र की बाट जोहते रहते हैं।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।