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गौरतलब है कि गुजरात चुनाव बेहद नजदीक हैं और यह अरेस्ट वारंट ऐसे वक्त आया है जब हार्दिक पटेल, राहुल गांधी के साथ नए राजनीतिक समीकरण गढ़ रहे हैं। हार्दिक पटेल के खिलाफ अदालत ने यह फैसला इसलिए लिया है क्योंकि लगातार तीन तारीखों पर वे गैर हाजिर रहे हैं।
2015 में जब पाटीदारों का आरक्षण आंदोलन अपने चरम पर था तब कई जगह छिटपुट हिंसाएं और तोड़फोड़ हुईं थी जिनके कारण हार्दिक पटेल को जेल भी भेजा गया था। अदालत द्वारा जारी अरेस्ट वारंट को भाजपा अपने पक्ष में भुना सकती है और हार्दिक पटेल के हिंसक छवि को जनता के सामने रखकर निकट विधानसभा चुनाव में अपने पक्ष को मजबूत भी कर सकती है।