
वर्तमान में अपराधी तक पहुंचने के लिए मोबाइल फोन सबसे बड़ा मददगार साबित हो रहा है। मोबाइल के कारण पुलिस को अब मुखबिरों पर पैसा खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ती। मोबाइल फोन की तरह आधार कार्ड को भी पुलिस अपना मददगार बनाना चाहती है। इसके लिए एसपी डॉ. आशीष के निर्देश पर बीट का स्टाफ क्षेत्र के रजिस्टर्ड अपराधियों के घर जाकर आधार कार्ड के साथ थाने बुला रही है। आधार कार्ड की छाया प्रति लेने के साथ उनके अंगूठे व अंगुलियों के चिन्ह भी लिए जा रहे हैं।
अपराधियों पर बनेगा मानसिक दबाव
हिस्ट्रीशीटर बदमाशों से उनका आधार कार्ड मांगने से मानसिक दबाव बनेगा। अपराधी पुलिस को आधार कार्ड देने से बचने तरह-तरह के बहाने बना रहे हैं। कुछ का कहना है कि अभी उन्होंने आधार कार्ड बनवाया ही नहीं है। पुलिस ऐसे हिस्ट्रीशीटरों को 15 दिन में आधार कार्ड बनवाकर जमा कराने के लिए दबाव बना रही है।
इससे पहले आधार कार्ड के लिए आवेदन करने की रसीद की छाया प्रति मांग रही है। एएसपी दिनेश कौशल का कहना है कि पहले चरण में संपत्ति संबंधी अपराधी, हथियारों के साथ पकड़े गए बदमाश व क्षेत्र के हिस्ट्रीशीटरों का डेटा बैंक तैयार किया जा रहा है।
आधार कार्ड होने से पुलिस को यह फायदा
अपराधी का आधार कार्ड पुलिस के पास होने से किसी मामले में तलाश होने पर पता लगाया जा सकेगा कि आरोपी वर्तमान में किस नंबर का मोबाइल फोन उपयोग कर रहा है, क्योंकि बगैर आधार के अब नई सिम नहीं मिलती। पुराने मोबाइल नंबरों पर भी आधार लिंक कराए जा रहे हैं।
बैंक खातों से आधार लिंक होने से पुलिस को पता चल जाएगा कि जिस अपराधी की तलाश है, उसका खाता किन-किन बैंकों में है। खाता नंबर व बैंक का पता चलने पर पुलिस वर्तमान ट्रांजेक्शन का पता लगा सकेगी। अगर बदमाश एटीएम का उपयोग कर रहा होगा तो पुलिस को यह भी पता चल जाएगा किस शहर और किस बाजार के एटीएम से कब पैसा निकाला है। खातों पर भी नजर रखी जा सकेगी कि किसने कितना पैसा खाते में ट्रांसफर किया है। बदमाशों का आधार कार्ड, अंगूठे व अंगुलियों के निशान पुलिस के पास पहले से होने के कारण मानसिक दबाव रहेगा।