
राज्य कर्मचारी कल्याण समिति लंबे समय से सामान्य प्रशासन विभाग पर यह दबाव बना रही थी कि अनुकंपा नियुक्ति के नियमों को सरल किया जाए। इसे लेकर मुख्यमंत्री तक को ज्ञापन दिए गए। इसके बाद नियमों में संशोधन के लिए मामले को कैबिनेट में भेजने का प्रस्ताव तैयार भी हो गया पर मुख्य सचिव के स्तर से इसे एक बार फिर विचार करने के लिए लौटा दिया गया।
जुलाई 2017 में फाइल विभागीय राज्यमंत्री लालसिंह आर्य को भेजी गई, जो कुछ दिनों पहले ही लौटकर सामान्य प्रशासन विभाग वापस आई है। सूत्रों के मुताबिक पुरुष आवेदकों को महिलाओं के समान आवेदन करने आयु सीमा में छूट देने का प्रस्ताव रद्द कर दिया गया है यानी पुरुष आवेदकों को सिर्फ 45 वर्ष की आयु सीमा तक आवेदन करने की पात्रता होगी।
ऐसे प्रकरण फिर से विचार किया जाएगा जिसमें शासकीय सेवक की मृत्यु के सात साल के भीतर अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन कर दिया और वो किसी वजह से निरस्त हो गया हो। यदि अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन सही पाया जाता है तो फिर पात्रता अनुसार नियुक्ति मिलेगी। इसी तरह पद नहीं होने पर अब इंतजार कराने की जगह संविदा नियुक्ति दी जाएगी। जैसे ही पद उपलब्ध होंगे, संबंधित को नियमित कर दिया जाएगा।
अटके हैं हजारों मामले
सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि हजारों की तादाद में अनुकंपा नियुक्ति के मामले अटके हैं। इनमें बहुत से प्रकरणों में तय अवधि में आवेदन होने के बाद भी पद नहीं होने की वजह अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी गई। लंबा समय बीतने के बाद प्रकरण निरस्त हो गए। इसी तरह मनचाही जगह नहीं मिलने की वजह से जिन लोगों ने इंतजार करने का फैसला किया, उन्हें भी नियुक्ति नहीं मिल पाई।
तत्कालीन प्रमुख सचिव वार्ष्णेय नहीं थे पक्ष में
अनुकंपा नियुक्ति के नियमों को सरल बनाने का प्रस्ताव शासन में लंबे समय से चला आ रहा है पर तत्कालीन प्रमुख सचिव मुक्तेष वार्ष्णेय इसके लिए सहमत नहीं थे। इसकी वजह से फाइल ही आगे नहीं बढ़ रही थी। जबकि, सामान्य प्रशासन राज्यमंत्री लालसिंह आर्य इसके लिए तैयार थे। वार्ष्णेय के सेवानिवृत्त होते ही तत्कालीन प्रमुख सचिव सीमा शर्मा के कार्यकाल में फाइल तेजी से दौड़ी और प्रस्ताव तैयार हो गया।