
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि लोकायुक्त नियुक्ति की फाइल 10 अक्टूबर को आई थी और तीन दिन विचार करने के बाद 12 अक्टूबर को लौटाई थी। उसके साथ न्यायाधीशों की ग्रेडेशन लिस्ट तो भेजी नहीं जाती इसलिए मुझे सीनियर-जूनियर के बारे में पता नहीं था। सीनियर व जूनियर देखने का काम तो सरकार है। नेता प्रतिपक्ष ने यह भी कहा कि रिटायरमेंट के बाद सीनियर और जूनियर तो कुछ होता नहीं है।
वहीं सिंगल नाम को लेकर उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के लोकायुक्त नियुक्ति मामले में आदेश किया था। वहां भी सिंगल नाम पर ही नियुक्ति हुई थी। इसलिए मध्यप्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए जस्टिस एनके गुप्ता के सिंगल नाम के प्रस्ताव पर सहमति देना सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुरूप है।