गांधीनगर। भले ही विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान न हुआ हो लेकिन गुजरात में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। सोमवार को गुजरात के डिप्टी सीएम नितिन पटेल ने कहा कि चुनाव जीतने के लिए तो कांग्रेस हाफिज सईद जैसे आतंकी से भी हाथ मिलाने से पीछे नहीं हटेगी। पटेल ने ये भी कहा कि विपक्ष सत्ता हासिल करने के लिए समुदायों के बीच खाई बनाने की कोशिश कर रहा है।
न्यूज एजेंसी के मुताबिक पटेल ने कहा, "जहां तक मेरी जानकारी है, राहुल गांधी या किसी लोकल कांग्रेस लीडर की स्पीच में पाटीदारों या किसी भी अनरिजर्व्ड क्लास का जिक्र नहीं है।पटेल ने संकेत दिया कि कांग्रेस एक बार फिर वोटों के लिए KHAM (क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी और मुस्लिम) समीकरण तैयार कर रही है। गुजरात में पाटीदारों की अहम भूमिका के चलते KHAM थ्योरी को लोगों ने खारिज कर दिया है। बता दें कि 1980 के दशक में पूर्व सीएम माधव सिंह सोलंकी कांग्रेस के लिए KHA M वोट बैंक तैयार किया था।
KHAM थ्योरी के चलते गुजरात में कई दंगे हुए
पटेल का आरोप है, "KHAM थ्योरी के चलते गुजरात में कई दंगे और विरोध प्रदर्शन हुए। इसने गुजरात के शांत माहौल को बिगाड़ दिया था। राहुल की स्पीच सुनने के बाद लगता है कि कांग्रेस एक बार फिर इसी रास्ते पर लौट रही है। वे समाज को बांटकर वोट हासिल करना चाहते हैं। किसी भी कांग्रेस नेता ने न तो पाटीदार और दूसरी जनरल कास्ट के लिए एक शब्द भी कहा है। राहुल गांधी ने भी पटेलों के लिए कुछ नहीं कहा। सभी नेता एससी, एसटी, ओबीसी और मुस्लिम की बात करते हैं। यही तो माधव सिंह सोलंकी की KHAM थ्योरी थी।पटेल ने कहा, "अगर कांग्रेस को लगा कि वह विधानसभा चुनाव जीत सकती है तो वह हाफिज सईद जैसे आतंकियों से भी हाथ मिला लेगी। वे बिना किसी संकोच के उसे न्योता भेज देंगे।"
क्या बोले थे राहुल गांधी ?
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी सोमवार को एक महीने में तीसरी बार गुजरात दौरे पर पहुंचे। यहां वे ओबीसी सम्मेलन में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने मोदी सरकार पर कई मुद्दों पर तंज कसे। जीएसटी का जिक्र करते हुए कांग्रेस वाइस प्रेसिडेंट ने कहा, “इनका जो GST है, ये GST नहीं, ये है गब्बर सिंह टैक्स है। राहुल ने कहा- "गुजरात में आज एक भी ऐसा शख्स नहीं है, जो किसी ना किसी आंदोलन में शामिल ना हो। पूरा प्रदेश आंदोलन में लगा हुआ है। क्यों हो रहा ये? इसलिए, क्योंकि 22 साल में गुजरात में जनता की नहीं, कुछ कारोबारियों की सरकार चली है। इसलिए गुजरात का समाज सड़कों पर है। अपनी लड़ाई लड़ रहा है।
राज्य के ज्यादातर काॅलेज या यूनिवर्सिटी पांच या दस कारोबारियों की हैं। जब युवा यहां एडमिशन लेते हैं, तो उनसे 10 या 15 लाख रुपए मांगते हैं। बाद में उन्हें गुजरात में रोजगार नहीं मिलता। उनके माता-पिता बीमार होते हैं तो गुजरात के अस्पतालों में इलाज नहीं मिलता। कह दिया जाता है कि ये प्राइवेट हॉस्पिटल है। यहां सिर्फ अमीरों का इलाज होता है। पिछले साल इस सरकार ने 1 लाख 30 हजार करोड़ का कर्जा उद्योगपतियों का माफ कर दिया। बता दें कि राहुल की रैली में गुजरात के ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर कांग्रेस में शामिल हो गए।