नई दिल्ली। भारतीय राजनीति के सबसे सीनियर नेताओं में से एक पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि यदि वे भी हिंदी जानते, तो शायद पीएम होते। उन्होंने ये बात एक पत्रिका को दिए गए साक्षात्कार में कही। मुखर्जी ने कहा कि मैं हिंदी नहीं जानता था, ऐसे में बिना हिंदी जाने किसी को भारत का पीएम नहीं बनना चाहिए। इसके लिए उन्होंने तमिलनाडु के दिग्गज कांग्रेस नेता के कामराज का उदाहरण दिया। कामराज ने भी पीएम पद का ऑफर छोड़ दिया था। कामराज ने कहा था, 'बिना हिंदी के प्रधानमंत्री पद नहीं।'
इंडिया टुडे मैगजीन ने मुखर्जी का एक इंटरव्यू प्रकाशित किया है। इसमें उन्होंने खुलकर अपनी बात सामने रखी है। उन्होंने कहा कि मेरी इस अयोग्यता की सबसे बड़ी वजह यह भी थी कि मैं लोकसभा का सदस्य 2004 में बना। उसके पहले राज्यसभा का ही सदस्य था। दूसरी वजह हिंदी को बताई। मुखर्जी बोले, बिना हिंदी जाने, किसी को भारत का प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहिए। इसी कड़ी में उन्होंने कामराज की मिसाल पेश की।
मुखर्जी ने कहा कि 2004 में भारत के पीएम के लिए मनमोहन सिंह का नाम चुना गया। यह चयन सोनिया गांधी ने किया। और यह सही चयन था। अच्छी पसंद थी। यूपीए 2 के परफोर्मेंस पर प्रणब मुखर्जी ने कहा कि उस समय अच्छा काम नहीं हुआ। गठबंधन भी टूटने लगा था। ममता बनर्जी गठबंधन को छोड़ चुकी थी।
जब उनसे पूछा गया कि क्या देश कांग्रेस मुक्त हो जाएगा, इस पर मुखर्जी ने कहा ऐसा नहीं हो सकता है। 132 साल पुरानी पार्टी इतनी जल्द खत्म हो जाएगी, ऐसा नहीं है। मोदी सरकार के नोटबंदी और जीएसटी पर मुखर्जी ने कहा कि सरकार को जल्दी-जल्दी इतने बड़े फैसले नहीं लेने चाहिए। और न ही विपक्षियों को पैनिक क्रिएट करना चाहिए।