
आईटी सर्विस और बैंकिंग सर्विस के टॉप प्लेयर्स ही इन स्किल्स के लिए एंप्लॉयर्स के रूप में नजर आ रहे हैं। पहले जिन कामों को थर्ड पार्टी से आउटसोर्स किया जाता था, अब उनके लिए भी कंपनियां अपनी टीम बना रही हैं। इंटरनेट ऑफ थिंग्स (एलओटी) और यूजर इंटरफेस डिजाइन में भी जॉब्स की संख्या बढ़ी हैं। इन क्षेत्रों में जॉब्स बढ़ने की प्रमुख वजह है इन कामों को पूरा करने के लिए तकनीक का अपर्याप्त होना।
इनके लिए एडवांस एक्सेल, बिग डेटा, पाइथन और जावा जैसी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज, सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन और एंड्रॉयड की बेसिक जानकारी की जरूरत होती है। कई कॉलेज इन स्किल्स को सिखाते हैं, लेकिन ज्यादातर हायरिंग के बाद काम के दौरान ही सीख पाते हैं। इसमें सैलरी भी अन्य फ्रेशर्स की तरह ही 2-4 लाख तक है, अनुभव के बाद ऊंची सैलरी तक पहुंचने की संभावना ज्यादा है।