भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार एक बार फिर हाईकोर्ट में शर्मसार हुई है। उसने प्राइवेट कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव ना कराने का फैसला लिया था परंतु हाईकोर्ट ने उसका फैसला पलट दिया। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार को निजी कॉलेजों में भी छात्रसंघ चुनाव कराने के आदेश दिए हैं। लिंगदोह कमेटी की अनुशंसा के मुताबिक प्रदेश सरकार द्वारा छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाए जाने का आरोप लगाते हुए अदालत में एक याचिका दायर की गई थी। इस पर जबलपुर उच्च न्यायालय ने बुधवार को सुनवाई की।
जबलपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता और न्यायाधीश व्हीके शुक्ला की युगलपीठ ने सरकार को निर्देशित किया है कि निजी कॉलेजों में भी छात्रसंघ चुनाव करवाये जायें। इस संबंध में 30 अक्टूबर तक अधिसूचना जारी कर दी जाए। भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) के जिला उपाध्यक्ष बादल पंजवानी की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि लिंगदोह कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में इस बात की अनुशंसा की थी कि शासकीय व गैर शासकीय कॉलेजों के साथ तकनीकी व गैर तकनीकी कॉलेजों में भी छात्रसंघ चुनाव करवाये जायें।
सरकार ने छात्रसंघ चुनाव करवाने के संबंध में अधिसूचना जारी की, लेकिन बाद में एक नई अधिसूचना जारी करते हुए कहा कि सिर्फ शासकीय कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव करवाये जायेंगे।याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया कि शासकीय कॉलेजों के चुनाव के बाद निजी कॉलेजों में भी चुनाव करवाये जायेंगे। इस पर याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि सरकार की लेट-लतीफी के कारण शैक्षणिक सत्र ही समाप्त हो जायेगा। युगलपीठ ने याचिका का निराकरण करते हुए आदेश में कहा है कि 30 अक्टूबर तक सरकार शासकीय कॉलेजों में चुनाव संपन्न करवाये तथा इसी दिन निजी कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव करवाने के संबंध में अधिसूचना जारी कर दे।