भोपाल। मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार के राज्यमंत्री जल संसाधन विभाग हर्ष सिंह पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है। बताया गया है कि वो उस विभाग की गाड़ियों का अवैध उपयोग कर रहे हैं जिसके वो मंत्री ही नहीं है। इतना ही नहीं वो फर्जी सील लगाकर पेमेंट भी ले रहे हैं। आरोप है कि यह क्रम लगातार 1 साल से चल रहा है। बता दें कि पूर्व में हर्ष सिंह नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग के राज्यमंत्री थे। बाद में हटा दिए गए लेकिन वो पेमेेंट लेने के लिए नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग के राज्यमंत्री की सील लगा रहे हैं।
जल संसाधन राज्यमंत्री हर्ष सिंह को कैबिनेट विस्तार में नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग में मंत्री बनाया गया था। साल भर पहले उनकी तबियत बिगड़ी और उन्हें दिल्ली ले जाया गया। अस्वस्थता के चलते नवकरणीय ऊर्जा विभाग का काम प्रभावित होने पर उनसे सीएम शिवराज सिंह चौहान ने विभाग का काम वापस लेकर ऊर्जा मंत्री पारस जैन को प्रभार दे दिया। सिर्फ जल संसाधन राज्य मंत्री की जिम्मेदारी उनके पास रह गई। इसके बाद भी मंत्री सिंह ने पुराने विभाग से अलाट तीन गाड़ियां शासन को वापस नहीं कीं और उनका उपयोग कर फर्जी सील और फर्जी बिलिंग कर पेमेंट ले रहे हैं। इसके अलावा मंत्री सिंह ने आयुष डिपार्टमेंट से सरकारी वाहन एमपी-02-2277 भी ले रखा है जो राज्यमंत्री के ओएसडी व पीए इस्तेमाल कर रहे हैं। राज्यमंत्री को सरकार ने स्टेट गैरेज से एसयूवी और डब्ल्यूआरडी डिपार्टमेंट से भी इनोवा कार दी है।
सतना में दौड़ रही गाड़ियां
राज्यमंत्री सिंह ने ऊर्जा विकास निगम से दो गाड़ी टैक्सी कोटे में ले रखी हैं। इनमें एक इनोवा भोपाल मुख्यालय से ली गई है जिसका नम्बर टाटा इंडिगो मांजा एमपी-04-सीएफ-4006 है। दूसरी गाड़ी टैक्सी कोटे से इनोवा एमपी-04-टीए-8179 दी हुई है। दोनों गाड़ी राज्य मंत्री सिंह के गृह जिले सतना में चल रही है जिसका हर माह राज्य मंत्री नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग के नाम से पेमेंट किया जा रहा है। बताया जाता है कि हर माह 70 से 80 हजार रुपए बिल मंत्री के ओएसडी बसंत बारथरे और पीए सुनील कुमार गुप्ता के साईन से नवीन व नवकरणीय ऊर्जा विभाग को भेजा जा रहा है। राज्यमंत्री ने तीसरी गाड़ी एसयूवी 500 ऊर्जा विकास निगम सतना के कार्यालय से ले रखी है। हाल ही में सतना निगम के अधिकारी एसएस गौतम ने मुख्यालय को 6 माह का 2.5 लाख रुपए का बिल भेजा है।
यह है सरकार का नियम
मप्र मंत्री (वेतन तथा भत्ता) अधिनियम 1972 के अनुसार मंत्री और राज्य मंत्री सरकार से केवल एक वाहन और दो ड्रायवर दिए जाएंगे। इसके अलावा मंत्री को हर माह 350 किमी और राज्यमंत्री को 300 किमी का फ्यूल दिया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में एक भी मंत्री ऐसा नहीं है जिसने इन नियमों का पालन किया हो। सभी मंत्री सरकारी गाड़ी के साथ-साथ अपने प्रभार वाले डिपार्टमेंट्स की गाड़ियों पर कब्जा कर रखा है। इससे सरकार के खजाने पर हर माह लाखों रुपए का अतिरिक्त भार आ रहा है।