भोपाल। देश भर में पत्रकारों की हत्याएं और हमले के मामले अब तेजी से बढ़ रहे हैं। मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले में प्रेस ट्रस्ट आॅफ इंडिया के पत्रकार एवं दैनिक जागरण ग्वालियर के पूर्व संपादक संजय बेचैन पर बीती रात खदान माफिया ने जानलेवा हमला कर दिया। पत्रकार को ग्वालियर रिफर किया गया है जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। पत्रकार संजय बेचैन पिछले काफी समय से इलाके के आदिवासियों के शोषण के खिलाफ अभियान चला रहे हैं।
खबर शिवपुरी से आ रही है। यहां पीटीआई पत्रकार संजय बेचैन पिछले काफी दिनों से खदान माफिया द्वारा आदिवासी मजदूरों के शोषण के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। वो सहरिया क्रांति नाम के एक सामाजिक संगठन के संयोजक भी हैं। पिछले दिनों उन्होंने आदिवासी मजदूरों को नियमानुसार मजदूरी दिलाने हेतु आंदोलन की शुरूआत की थी। इसी बात से इलाके के खदान माफिया नाराज थे।
संजय बेचैन के परिजनों ने बताया कि शनिवार शाम जब वो करैरा के पास साजौर गांव में एक सामाजिक पंचायत में शामिल होकर लौट रहे थे तभी हातौद गांव में कुछ लोगों ने उन्हे आमंत्रित किया। यहां ग्रामीणों से मिलकर जब वो वापस लौट रहे थे तभी माफिया ने रास्ता जाम किया और पत्रकार संजय बेचैन को घेर लिया। माफिया ने हवाई फायर किए और दर्जनों गुर्गों ने लाठियों से हमला बोल दिया। बताया जा रहा है कि उनके शरीर पर लाठियों के आधा सैंकड़ा से ज्यादा निशान है। सिर फूट गया है। खून लगातार बह रहा है। बेहतर इलाज के लिए उन्हे तत्काल ग्वालियर रिफर किया गया है।
आदिवासियों ने बचाई जान
हमले के दौरान 2 आदिवासी बीच में कूद गए और संजय बेचैन की जान बचाई। इस दौरान वो दोनों भी गंभीर रूप से घायल हो गए। दोनों अस्पताल में भर्ती हैं। माफिया से बचाने के लिए आदिवासी लोग पत्रकार को एक झोंपड़ी में ले गए और बिस्तरों में छुपा दिया। माफिया के गुर्गें लगातार लाश की तलाश करते रहे। इसी बीच एक आदिवासी ने पत्रकार के परिजनों को सूचना दी।
एसपी ने भेजी फौज, मुक्त कराया
माफिया के गुर्गों ने पूरे इलाके को घेर रखा था। शिवपुरी एसपी को जैसे ही इस घटना की जानकारी मिली उन्होंने 3 लॉरियां भरकर पुलिस फोर्स भेजी। भारी संख्या में पुलिस को आता देख माफिया भाग गया। तब कहीं जाकर पत्रकार को मुक्त कराया गया। खून से लथपथ पत्रकार को पुलिस टीआई की जीप में डालकर जिला अस्पताल लाई जहां से उन्हे ग्वालियर भेज दिया गया। समाचार लिखे जाने तक संजय बेचैन की हालत गंभीर थी।