नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद आरबीआई द्वारा जारी किए गए 2000 और 200 रुपये के नोट की वैद्यता पर सवाल उठ गए हैं। एक आरटीआइ एक्टिविस्ट ने दावा किया है कि आरबीआई ने बिना कानूनी प्रक्रिया पूरी किए 2000 और 200 रुपये के नोट छाप दिए एवं उसे चलन के लिए बाजार में वितरित करवा दिया। सवाल यह है कि क्या बाजार में प्रचलित 2000 और 200 रुपये के नोट अवैध हैं ? आरबीआई की ओर से अभी तक इस संदर्भ में कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
मुंबई के आरटीआइ एक्टिविस्ट एमएस रॉय ने कहा, 'आरबीआई के जवाब के मुताबिक, केंद्रीय बैंक ने 200 रुपये और 2,000 रुपये के नोट जारी करने की तिथि तक कोई भी सरकारी प्रस्ताव (जीआर) या परिपत्र प्रकाशित नहीं किया था।' नोटबंदी से लगभग छह महीने पहले 19 मई, 2016 का एक दस्तावेज दिखाता है कि भारतीय रिजर्व बैंक के कार्यकारी निदेशक द्वारा 18 मई, 2016 को पेश किए गए प्रस्ताव को केंद्रीय निदेशक मंडल ने मंजूरी दे दी थी। यह प्रस्ताव नए बैंक नोटों के डिजाइन, पैमाने और मूल्यों से संबंधित था, जिसे बोर्ड ने कुछ ही मिनटों में मंजूरी के लिए केंद्र सरकार के पास भेज दिया था।
इस तरह का प्रस्ताव पहले 8 जुलाई, 1993 को भी तत्कालीन सरकार के पास भेजा गया था, जिसमें 10, 20, 50, 100 और 500 रुपये के आकार को कम कर नए भारतीय बैंक नोटों के एक नए 'परिवार' को शुरू करने का प्रस्ताव रखा गया था।
रॉय ने कहा कि यदि आरबीआई बोर्ड के प्रस्तावों में डिजाइन या 1000 रुपये में (नोटबंदी के बाद चलन में नहीं) 2,000 रुपये और बाद में 200 रुपये के नोटों पर महात्मा गांधी की तस्वीरों को छापने पर कोई चर्चा नहीं हुई। इससे स्पष्ट है कि इसके लिए किसी तरह की आधिकारिक मंजूरी नहीं दी गई थी। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर इन नोटों को जारी करने के लिए कोई मंजूरी नहीं दी गई, तो इन नोटों को किसने डिजाइन, मुद्रण, वितरण और अधिकृत किया।