जम्मू। कश्मीर के लोग शेष भारत के लोगों के साथ ‘पूरी तरह घुलमिल कर’ रह पाए इसके लिए ‘आवश्यक’ संवैधानिक संशोधन की मांग करने वाले संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर कश्मीर के अलगाववादी नेताओं ने पलटवार किया है। कट्टरपंथी हुर्रियत कांफ्रेंस के अध्यक्ष सैयद अली शाह गिलानी ने भाजपा-पीडीपी गठबंधन पर राज्य की ‘राजनीतिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और ऐतिहासिक स्थिति’ से छेड़छाड़ की कोशिश का आरोप लगाया।
उमर फारूक के नेतृत्व वाले हुर्रियत कांफ्रेंस के नरमपंथी धड़े के एक प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, ‘‘भागवत को इतिहास में झांकना चाहिए और उनको पता लगेगा कि कश्मीर एक विवाद है, जिसे विश्व के सर्वोच्च फोरम संयुक्त राष्ट्र भी मानता है। जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के प्रमुख यासीन मलिक ने एक अलग बयान में कहा कि ‘भागवत को भारत के बारे में सोचना चाहिए जो आरएसएस की अल्पसंख्यक विरोधी नीतियों’ के कारण विभाजन के कगार पर है।
क्या कहा था मोहन भागवत ने
भागवत ने कहा कि हाल के महीनों में जिस तरह कश्मीर में अलगाववादियों को हैंडल किया गया है। उसका सकारात्मक असर दिख रहा है। अलगाववादियों के अवैध आर्थिक स्त्रोतों को खत्म कर सरकार ने उनके झूठे प्रोपगेंडा और भड़काऊ कार्रवाई को नियंत्रित किया है। भागवत ने कहा कि जम्मू कश्मीर के शरणार्थियों की समस्या का अब तक समाधान नहीं हो पाया है। उनके पास बेसिक सुविधाएं नहीं है और उन्हें अब भी संघर्ष करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि संविधान में आवश्यक सुधार होने चाहिए और जम्मू कश्मीर से जुड़े पुराने प्रतिबंधों को बदला जाए।