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याचिका में कहा गया, जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के तहत पंजीकृत राजनीतिक दलों को सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 2(एच) के तहत एक लोक प्राधिकार घोषित किया जाए। जिससे उन्हें लोगों के लिए पारदर्शक और जवाबदेह बनाया जा सके और चुनावों में काले धन के इस्तेमाल पर अंकुश लगाया जा सके।
जनहित याचिका में निर्वाचन आयोग से आरटीआई अधिनियम और राजनीतिक दलों से जुड़े अन्य कानूनों का अनुपालन सुनिश्चित करवाने के लिए निर्देश देने की मांग की गई। याचिका में यह भी मांग की गई है कि अगर वे इनका पालन करने में विफल रहते हैं तो उनका पंजीकरण रद्द कर दिया जाए।