भोपाल। शताब्दी एक्सप्रेस की जर्मन में तैयार सेफ्टी स्प्रिंग टूटने से परेशान रेलवे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया प्रोग्राम के तहत स्वदेश में स्प्रिंग बनवाई। अब वह भी टूट रही है। नई दिल्ली से हबीबगंज के बीच चलने वाली शताब्दी में लगी पहली स्वदेशी स्प्रिंग अब तक दो बार टूट चुकी है। इससे रेलवे की मुश्किलें बढ़ गई हैं। आनन-फानन में स्प्रिंग टूटने की जांच रेल डिजाइन स्टैंडर्ड आर्गनाइजेशन (आरडीएसओ) लखनऊ को सौंप दी है। आगरा, झांसी और हबीबगंज में ट्रेन की स्पेशल जांच के निर्देश दिए हैं। बीते 10 महीने में शताब्दी एक्सप्रेस में लगी प्रायमरी और सेकेंडरी सस्पेंशन सेफ्टी स्प्रिंग 8 बार टूट चुकी है।
रेलवे ने जर्मन कंपनी एलपीडीएम के खराब मटेरियल (कोच में लगने वाले सेफ्टी स्प्रिंग समेत दूसरे पार्ट्स) से पीछा छुड़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया प्रोग्राम को अपनाया। इसी के तहत ग्वालियर रेल स्प्रिंग कारखाना में स्वदेशी स्प्रिंग तैयार कराए गए। यही स्प्रिंग शताब्दी एक्सप्रेस के कोचों में लगी हैं। 4 सितंबर को शताब्दी के पावर कोच में लगी पहली और 24 सितंबर को कोच सी-7 के पहिए में लगी दूसरी प्रायमरी सस्पेंशन सेफ्टी स्प्रिंग टूटी। सूत्रों की मानें तो जल्दबाजी में तैयार इन स्प्रिंग में कई तरह की लापरवाही बरती गई है। क्योंकि 14 फरवरी 2017 तक अकेले नई दिल्ली से हबीबगंज के बीच चलने वाली शताब्दी एक्सप्रेस के रैक में शामिल कोच के पहियों में लगी सेकंडरी सस्पेंशन स्प्रिंग 6 बार टूट चुकी थी। इसके अलावा देहरादून, चंडीगढ़ आदि रूटों पर चलने वाली शताब्दी के रैकों में लगी स्प्रिंग भी टूटी है। ये स्प्रिंग जर्मन कंपनी एलपीडीएम ने सप्लाई की थी जो कपूरथला रेल कोच फैक्ट्री में बनाई गई थी।
टूटी हुई स्वदेशी स्प्रिंग आरडीएसओ को भेजी
सेफ्टी स्प्रिंग के सैंपल आरडीएसओ लखनऊ को भेज दिए हैं। जांच भी शुरू हो गई है। इधर, मेक इन इंडिया प्रोग्राम के तहत स्वदेश में तैयार सेफ्टी स्प्रिंग टूटने से रेलवे के अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। क्योंकि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्राथमिकता वाला प्लान है। इसके तहत बनाई गई स्प्रिंग के निर्माण में यदि धांधली या गलती मिलती है तो जिम्मेदार अधिकारियों की नौकरी जा सकती है। अभी तक रेलवे के अधिकारी विदेशी कंपनी एलपीडीएम द्वारा सप्लाई पार्ट्स में गड़बड़ी बताकर बच निकलते थे।
कब-कब टूटी स्प्रिंग
1- 17 दिसंबर 2016 को कोच सी-12 की स्प्रिंग टूटी।
2- 19 दिसंबर को कोच सी-7 की स्प्रिंग टूट गई।
3- 26 दिसंबर को भोपाल पहुंचने से पहले फिर स्प्रिंग टूट गई।
4- 2 जनवरी 2017 को बीना से भोपाल के बीच स्प्रिंग टूट गई।
5- 2 फरवरी को गंजबासोदा के पास स्पिं्रग टूटी।
6- 14 फरवरी को भोपाल में कोच सी-14 की स्प्रिंग टूटी मिली।
7- 4 सितंबर को बीना के पहले पावर कार कोच के पहिए में लगी स्प्रिंग टूटी।
8- 24 सितंबर को सी-7 कोच के पहिए में लगी प्रायमरी स्प्रिंग टूटी।
स्वदेशी स्प्रिंग टूटी, जांच करवा रहे हैं
हाल ही में शताब्दी एक्सप्रेस की जो प्रायमरी सेफ्टी स्प्रिंग टूटी हैं उन्हें ग्वालियर रेल स्प्रिंग कारखाना में मेक इन इंडिया प्रोग्राम के तहत तैयार कराया था। सैंपलों की जांच आरडीएसओ से कराई जा रही है।
शैलेंद्र सिंह,
इंजीनियर चीफ
रोलिंग स्टॉक नार्दन रेलवे