![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEijDL3HACxtWcJowi73sro6Au4pN3ZLOOxlqdJbEeAB_OKf6UVRc8xxJyjlWSnxbWoqK_U1-MM7GPwO-TL0egtEHL45eQYGqqPX5f4iJciVjJywg_dC_UYWlagsuhGNcChuZuivfkuI2ahx/s1600/55.png)
अदालत का फैसला तकरीबन 9 साल बाद आया
इलाहाबाद की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के जज एमके मित्तल की पत्नी डॉ नीलम मित्तल ने आठ जून साल 2008 को एयर इंडिया की फ्लाइट नंबर सी- 287 से कोलकाता से पोर्ट ब्लेयर का टिकट बुक कराया था। डॉ नीलम ने इसके लिए 12 हजार 2 सौ 90 रूपये का टिकट लिया था। एक घंटे देरी से छूटी फ्लाइट में मुसाफिरों को साउथ इंडियन नाश्ता दिया गया। जज की पत्नी नीलम ने नाश्ते का डिब्बा खोला तो उसमे कीड़ा निकला।
पीड़ित की बिगड़ गई थी तबीयत
उन्होंने शिकायत की तो नाश्ता वापस ले लिया गया लेकिन दूसरा डिब्बा नहीं दिया गया, जबकि एयरलाइंस ने नाश्ते व पानी का चार्ज भी किराए के साथ लिया था। आरोप यह भी था कि कीड़ायुक्त नाश्ता खाने से पीड़ित की तबीयत बिगड़ गई थी। बाद में डॉ नीलम की लिखित शिकायत पर एयर इंडिया ने सर्विस प्रोवाइडर के खिलाफ कार्रवाई का वायदा करते मामले से पल्ला झाड़ने की कोशिश की।
भुगतान नहीं किया तो बाद में देना होगा ब्याज भी
डॉ नीलम मित्तल ने इसके बाद इलाहाबाद के जिला उपभोक्ता फोरम में एयर इंडिया के खिलाफ मुकदमा दाखिल किया। उपभोक्ता अदालत में कई साल तक चली सुनवाई के बाद फैसला नीलम के हक़ में आया। फोरम ने एयर इंडिया की गलती मानते हुए उसे शिकायतकर्ता नीलम को एक लाख रूपये का हर्जाना पांच हजार रूपये के मुकदमा खर्च के साथ देने का आदेश दिया। अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि अगर एयर इंडिया ने दो महीने में एक लाख पांच हजार रूपये का भुगतान नहीं किया तो उसे बाद में ब्याज समेत रकम अदा करनी होगी।