भोपाल। मप्र संविदा शाला शिक्षक भर्ती परीक्षा पूरी तरह से चुनावी आयोजन हो गया। 2011 में परीक्षा कराने के बाद 2013 का चुनाव अगले साल परीक्षा कराने के वादे पर ही जीत लिया गया और फिर 2019 के चुनाव तक कोई परीक्षा आयोजित नहीं की गई। हजारों डीएड-बीएड प्रशिक्षित युवा ओवर एज हो गए। अब तैयारियां कुछ इस तरह शुरू की गईं हैं कि जून 2018 के आसपास परीक्षाएं होंगी और परिणाम तो चुनाव के ऐन पहले ही आ पाएगा।
अफसरों के अनुसार पहला ड्राफ्ट प्रकाशन के लिए भेज दिया गया है। प्रकाशन के बाद एक महीना इस पर सुनवाई होगी। उसके बाद अंतिम प्रकाशन होगा। पूरी प्रक्रिया में दो-तीन महीने लगेंगे। अगले साल फरवरी में भर्ती की अधिसूचना जारी हो जाएगी। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने आखिरी बार वर्ष 2011 में संविदा शिक्षकों की भर्ती की थी। तब करीब 40 हजार पद भरे गए थे। नियमानुसार भर्ती हर तीन साल में होना थी, जबकि सीएम शिवराज सिंह ने चुनावी वादा किया था कि वो हर साल भर्ती करवाएंगे परंतु बार बार मांग उठने के बावजूद सरकार ने 2011 के बाद भर्ती नहीं की। इस बीच कई डीएड-बीएड प्रशिक्षित युवा ओवर एज हो गए।
वित्तमंत्री ने की थी घोषणा
इस साल वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में शिक्षकों की भर्ती की घोषणा की थी। तब भी सरकार ने भर्ती का समय नहीं बताया। खबरें थीं कि वित्त मंत्रालय पदों में कटौती चाहता है। मामला लंबे समय तक इसी में उलझा रहा। इसके बाद अतिथि शिक्षकों की भर्ती और फिर मिडिल के शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण शुरू हो गया। हाल ही में अतिथि शिक्षकों को आयु सीमा में छूट और आरक्षण का फैसला लिया गया है।
सत्र 2019-20 से मिलेंगे शिक्षक
पंचायत एवं ग्रामीण विभाग यदि फरवरी में अधिसूचना जारी करता है तो पीईबी को पात्रता परीक्षा कराने में तीन से चार महीने लगेंगे। तीनों परीक्षाओं का रिजल्ट तैयार करने में पांच से छह माह का वक्त लगेगा। उसके बाद मेरिट के आधार पर काउंसलिंग होगी। नवंबर-2018 में विधानसभा चुनाव हैं। ऐसे में स्कूलों को नए शिक्षक 2019-20 के सत्र से ही मिल सकेंगे।