अंजुल मिश्रा/जबलपुर। हाईकोर्ट ने 42 साल के मुस्लिम पुरुष और 26 साल की हिंदू युवती की लवमैरिज को मान्यता दे दी है। पति की 3 पत्नियां पहले से ही हैं बावजूद इसके हिंदू युवती उसके साथ जाने के लिए तैयार थी। बताया गया है कि शिवा परिहार धर्म परिवर्तन के बाद शमा खान बन गई है। हाईकोर्ट में याचिका पति शमीम खान ने लगाई थी। परिजरजनों एवं सरकारी वकील ने इसका काफी विरोध किया परंतु युवती अपनी बात पर अडिग थी।
दमोह निवासी शमीम खान ने न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाकर माता-पिता द्वारा बंधक बनाकर रखी गई अपनी पत्नी को मुक्त कराने की मांग की थी। मामले की सुनवाई गुरुवार को हाई कोर्ट के जस्टिस एसके सेठ व जस्टिस अंजलि पॉलो की खंडपीठ ने की। इस दौरान शासकीय अधिवक्ता अक्षय नामदेव ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता की पूर्व में तीन पत्नी और तीन बच्चे हैं। वह टेलरिंग का काम करता है। ऐसे में लड़की को अच्छा वातावरण नहीं मिलेगा। लेकिन कोर्ट ने जब लड़की से पूछा तो उसने कहा कि उसे हर बात की जानकारी है, उसे पता है कि उसकी तीन पत्नियां हैं। उसने तलाक भी नहीं लिया है। इसके बाद भी वह पति के साथ रहने तैयार है।
क्या है मामला
याचिका में बताया गया कि शमीम खान और शिवा परिहार जो धर्म परिवर्तन के बाद शमा खान हो गई, का अफेयर पिछले 7 साल से चल रहा है। 42 वर्षीय शमीम खान टेलरिंग का काम करता है, जबकि 26 वर्षीय शमा ने कंप्यूटर साइंस से एमएससी की है। कुछ महीनों पहले ही दोनों ने मुस्लिम रीति से निकाहनामा पढ़वा लिया था। इस दौरान दोनों पक्षों के बीच काफी विवाद हुआ और पुलिस संरक्षण में शमा को नारी निकेतन भेज दिया गया, लेकिन वहां से उसके माता-पिता जबरदस्ती उसे घर लेकर चले गए और बंधक बनाकर रखे हुए हैं।
शासकीय अधिवक्ता ने रखा पक्ष
लड़का पहले से शादीशुदा है और उसकी तीन पत्नी तथा तीन बच्चे हैं। मुस्लिम रीति के अनुसार भी दो पत्नी से ज्यादा रखने का अधिकार नहीं है। ऐसे में यह विवाह तभी मान्य होगा, जब लड़का तीनों पत्नियों को तलाक दे।
कोर्ट ने कहा
लड़की बालिग है इसलिए कुछ नहीं किया जा सकता है। इस मामले में यदि लड़की के माता-पिता चाहें तो कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं।
शासकीय अधिवक्ता ने रखा पक्ष
लड़का टेलरिंग का काम करता है ऐसे में चार पत्नी और तीन बच्चों के कारण लड़की को बेहतर सुविधा और वातावरण नहीं मिल पाएगा।
कोर्ट ने कहा
कोर्ट ने लड़की से पूछा कि क्या तुम्हें इसकी जानकारी है। उसने स्वीकृति दे दी। कोर्ट ने कहा कि सब कुछ जानते हुए भी तुम लड़के के साथ रहने तैयार हो, लड़की ने कहा कि उसे पहले से ही सब पता है, इसके बाद भी वह लड़के के साथ रहने तैयार है।
शासकीय अधिवक्ता ने रखा पक्ष
दोनों की उम्र में करीब 17 साल का अंतर है। ऐसे में लड़की की न बेहतर देखभाल हो सकेगी और न ही उसे बेहतर सुरक्षा मिल पाएगी।
कोर्ट ने कहा
लड़की बालिग और स्वतंत्र है, उसे अपने पति के घर तक पुलिस संरक्षण में सुरक्षित पहुंचाया जाए।