राकेश दुबे@प्रतिदिन। प्रतिपक्ष कुछ भी कहे, आसान कारोबार के मामले में जो भारत बीते बरस में 130वें नंबर पर था इस साल उसकी रैंकिंग में अभूतपूर्व 30 अंक का उछाल आया है। विश्व बैंक ने भारत को इस साल सबसे ज्यादा सुधार करने वाले दुनिया के शीर्ष 10 देशों की सूची में शामिल किया है। यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि भारत इस सूची में शामिल होने वाला दक्षिण एशिया और ब्रिक्स समूह का इकलौता देश है। विश्व बैंक के आसान कारोबार के 10 मापदंडों में से छह पर भारत की रैंकिंग सुधरी है।
दावा है कि भारत में अब नया बिजनेस शुरू करने में सिर्फ 30 दिन लगते हैं, जबकि पहले यह अवधि तीन माह से ज्यादा थी। बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में कारोबार सुगमता में इतनी लंबी छलांग लगाने वाला भारत पहला देश है। विश्व बैंक का कहना है कि भारत ने दो साल में कई बड़े कदम उठाए हैं। विश्व बैंक की रिपोर्ट में दिवालिया कानून के प्रवर्तन का भी जिक्र किया गया है। यह बात ध्यान देने लायक है कि ऐसी रैंकिंग वैश्विक निवेशकों के निर्णय को प्रभावित करती है। कारोबार को आसान बनाने के मापदंडों का मूल्यांकन करने वाले ख्यात वैश्विक संगठन ग्लोबल रिटेल डेवलपमेंट इंडेक्स (जीआरडीआई) ने वर्ष 2017 के लिए टॉप-30 विकासशील देशों की रैंकिंग से संबंधित जो रिपोर्ट प्रकाशित की है, उसमें भारत पहले क्रम पर है और चीन का क्रम दूसरा है।
लेकिन अभी जीएसटी के क्रियान्वयन को लेकर जो समस्याएं आ रही हैं उन्हें और सरल बनाया जाना चाहिए। अब भी कुछ उद्द्योगों की अनुमति में काफी वक्त लगता है। उसे कम करना होगा। कोर्ट में सुनवाई की प्रक्रिया को तेज करना होगा। प्रॉपर्टी खरीदना और इसका पंजीयन करने को भी आसान बनाने की जरूरत है। उद्यमियों के लिए नौकरशाही कम करने, पैसे का लेन-देन आसान करने की जरूरत है। रोजगार, निर्यात और निजी निवेश बढ़ाने के कारगर प्रयास किए जाने होंगे। कारोबार के विभिन्न कदमों को तेज करने के लिए अभी भी दिखाई दे रहे भ्रष्टाचार को नियंत्रित करना बाकी है। जिससे कारोबार, निवेश और देश की विकास दर में सुधार हो सके। इस विषय पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का एवं उद्योग संगठनों का कहना है कि यदि भारत कारोबार सरलता के लिए जीएसटी के साथ विकास से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में सुधार को आगे बढ़ाएगा, तो दो वर्षो में भारत की विकास दर आठ प्रतिशत तक पहुंच सकती है। इस अनुमान की पूर्ति के लिए सरकार को अभी से स्पष्ट नीति बनाने की ओर कदम बढ़ाने होंगे। जिस ऊंचाई की छलांग लगाई है, उस पर कायम रहने में ही भलाई है।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।