नई दिल्ली। अब तक दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत भारत का मुकुट हुआ करता था। अब समुद्र तल से 19,300 फीट की ऊंचाई से गुजरती 86 किलोमीटर की सड़क भारत माता की नाक की नथ होगी। जी हां, भारत ने दुनिया की सबसे ऊंचाई वाले इलाके में सड़क बना ली है। यह निर्माण कार्य इतना जोखिम भरा था कि काम के दौरान कई लोगों की याद्दात तक गायब हो गई थी। यह सड़क चीन की सीमा के सबसे पास से गुजर रही है। आप जानकर चौंक जाएंगे कि इस सड़क को बनाने के लिए इंसान तो इंसान मशीनों को भी आॅक्सीजन दिया गया। यहां आॅक्सीजन लेवल 50 प्रतिशत नीचे है जिससे मशीनें काम करना बंद कर देतीं थीं या बहुत धीमी हो जातीं थीं।
बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन (BRO) ने लद्दाख में दुनिया की सबसे ऊंची मोटोरेबल रोड (गाड़ी चलने लायक सड़क) बनाई है। प्रोजेक्ट हिमांक के तहत बनाई गई ये रोड 19,300 फीट की ऊंचाई पर उमलिंगा टॉप से होकर गुजरेगी। रोड की लंबाई 86 किलोमीटर है और ये लेह से 230 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चिसुम्ले और डेमचोक गांवों को जोड़ेगी। ये गांव इंडो-चीन बॉर्डर के पास हैं।
खतरे में थी इंजीनियर्स की जान
प्रोजेक्ट हिमांक के चीफ इंजीनियर ब्रिगेडियर डीएम पुर्विमाथ ने कहा, "इतनी ऊंचाई पर सड़क बनाना बेहद मुश्किल काम था। 19,300 फीट की ऊंचाई पर सड़क बनाने का काम जिंदगी को खतरे में डालने वाली परिस्थितियों से भरा हुआ था। कंस्ट्रक्शन के लिए ये मौसम ठीक नहीं था।भीषण गर्मियों के दिनों में भी यहां टेम्परेचर माइनस 10 से 20 डिग्री के बीच रहता था। जाड़ों में तो ये माइनस 40 डिग्री तक चला जाता था।
मशीनों को भी आॅक्सीजन देना पड़ा
ऑक्सीजन लेवल भी आम जगहों के मुताबिक 50 फीसदी कम था।। खराब मौसम की वजह से मशीनों और इंसानों की क्षमता में भी 50 फीसदी तक की कमी आ जाती थी। हर 10 मिनट में मशीन ऑपरेटर्स को ऑक्सीजन के लिए नीचे उतरना पड़ता था।
उपकरण ले जाना भी था चुनौती
डीएम पुर्विमाथ ने कहा, "इतनी ऊंचाई पर उपकरण ले जाना भी मुश्किल काम था। इसके अलावा उनकी रिपेयरिंग और मेंटेनेंस भी बड़ी चुनौती थे। इन सारी चीजों को लेकर काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
कई लोगों की याद्दाश्त तक चली गई थी
इन हालात में काम करने की वजह से काम में लगे BRO पर्सनल्स को मेजर हेल्थ प्रॉब्लम्स का सामना करना पड़ा। कई लोगों को मेमोरी लॉस, आईसाइट और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या आई।
सेना के लिए रात भर काम किया
इतनी ऊंचाई पर इस तरह का कंस्ट्रक्शन बिना कीमत चुकाए पूरा होना संभव नहीं था लेकिन, देश और सेना के लिए इस सड़क की अमहमियत को देखेत हुए हमारे पर्सनल्स और इन मशीनों ने समय पर प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए रातभर काम किया।
मजदूर और इंजीनियर्स को स्पेशल ट्रेनिंग देनी पड़ी
रोड कंस्ट्रक्शन का काम देखने वाले कमांडर प्रदीप राज ने कहा, "रोड बनाने से पहले BRO पर्सनल्स कड़ी प्रॉसेस और ट्रेनिंग के दौर से गुजरे। हालात के हिसाब से ढालने के लिए तीन स्टेज लेह, शक्ति और नूमा के तहत पर्सनल्स को ट्रेंड किया गया। इस तरह के इलाके में काम करने के लिए फिजिकल और मेंटल फिटनेस बेहद जरूरी है, क्योंकि यहां कंस्ट्रक्शन का वक्त बेहद सीमित है।
प्रोजेक्ट हिमांक के तहत ऊंचाई पर कितनी सड़कें बनीं
19,300 फीट - लद्दाख में रोड
17,900 फीट - खारडांगू ला रोड
17,695 फीट - चांगला पास