विदेश के प्रति सभी का विशेष रुझान रहता है। नया देश नई संस्कृति तथा नया वातावरण देखने की सभी की इच्छा होती है। चाहे उसका जन्म कहीं भी हुआ हो। जातक का मन पानी के समान होता है जैसे बहता हुआ पानी पवित्र रहता है वैसे ही घूमने फिरने से लोगों को नई ऊर्जा महसूस होती है। शनिदेव भगवान सूर्य के पुत्र तथा कर्म के स्वामी है, पिता के समान बलवान तथा सभी लोगो को प्रताडित करने के कारण शिवजी ने इन्हे आकाशमंडल मॆ सबसे दूर स्थित किया, आकाशमंडल मॆ ये सूर्य से दूर तथा सबसे धीमी गति से चलने वाले ग्रह हैं।
इनका धीमा चलना इनकी सूर्य व चंद्र से दूरी के कारण है। पश्चिम दिशा के स्वामी तथा वायुतत्व के अधिकारी हैं। सूर्य, चंद्र, गुरु मंगल से इनकी शत्रुता है शुक्र बुध से इनकी मित्रता हैं। जिनकी पत्रिका मॆ शनि ग्रह शुभ भाव का स्वामी तथा कारक होता है ऐसे लोग जन्मस्थान से दूर विदेश मॆ उन्नति करते हैं। ऐसे लोगो को विदेशी लोगो से काफी मदद भी मिलती है। ऐसे लोग विदेश मॆ जाकर अच्छी नौकरी अच्छा वाहन तथा अच्छा वैवाहिक जीवन भी गुजारते है।
कुम्भ राशि, मकर राशि, वृषभ राशि, तुला राशि के शनि विदेश मॆ विशेष उन्नति देते है। यदि आपकी राशि या लग्न मकर, कुम्भ, तुला और वृषभ हो तो आपको विदेश से जुड़े हुए कार्य पर विशेष ध्यान देना चाहिये। इससे आपको अच्छी सफलता व उन्नति मिलेगी।
शनि की दशा मॆ भी जातक को विदेश मॆ सफलता मिलती है। किसी अच्छे जानकार से आपकी पत्री मॆ शनि ग्रह के विषय मॆ जानकारी लेना चाहिये क्योंकि कई बार जो लोग स्वदेश मॆ ठोकर खाते रहते है वे विदेश मॆ नाम सम्मान और पैसा कमाते है।
प.चंद्रशेखर नेमा"हिमांशु"
9893280184,7000460931