नई दिल्ली। जैसी की उम्मीद थी गुजरात में भाजपा का प्लान बी काम करने लगा है। पाटीदार समाज की दूसरी संस्थाएं हार्दिक पटेल को अलग करने लगीं हैं। बीते रोज समाज की 44 धार्मिक-सामाजिक संस्थाओं ने मीडिया को बुलाकर ऐलान कर दिया कि हार्दिक पटेल का आरक्षण वाला आंदोलन पाटीदार समाज का आंदोलन नहीं है, बल्कि वो हार्दिक पटेल गुट का प्राइवेट कार्यक्रम है। अचानक हुए इस हमले से हार्दिक पटेल भी संभल नहीं पाए उन्होंने केवल इतना कहा कि ये सब तो चलता रहता है।
पाटीदार ऑर्गेनाइजेशन कमेटी के प्लेटफार्म से समाज की 44 धार्मिक-सामाजिक संस्थाएं हार्दिक पटेल से किनारा करती नजर आईं। प्रतिनिधियों ने बुधवार को अहमदाबाद में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एक स्वर में कहा कि पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति के संयोजक हार्दिक पटेल अब प्राइवेट आंदोलन चला रहे हैं क्योंकि मौजूदा सरकार पाटीदारों को ओबीसी आरक्षण देने के लिए सर्वे का निर्णय लेते हुए समाज की चार मांगें पहले ही स्वीकार कर चुकी हैं। लिहाजा पाटीदार आरक्षण आंदोलन लगभग पूरा हो गया है। अब जो आंदोलन चल रहा है वो प्राइवेट आंदोलन है। हार्दिक को आंदोलन करना हो तो कर सकते हैं, लेकिन आंदोलन के नाम पर समाज को गुमराह करना बंद करें।
पाटीदारों की विभिन्न धार्मिक व सामाजिक संस्थाओं द्वारा गठित पाटीदार ऑर्गेनाइजेशन कमेटी के को-ऑर्डिनेटर आर.सी. पटेल, सी.के. पटेल, शंकर पटेल, साकरचंद पटेल सहित कई नेताओं ने बात रखी। आरसी पटेल ने कहा कि पाटीदार समाज जो राजनीतिक पार्टियां ज्यादा टिकट देगी उसके साथ हैं। हार्दिक पटेल ने कहा कि बैठक के बारे में कोई बात मेरी जानकारी में नहीं है। मुझे इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता। यह सब तो चलता ही है।
हार्दिक से पूछा-ईबीसी मानें तो 14 मौत का जिम्मेदार कौन?
आरसी पटेल ने कहा- हार्दिक बताएं कि आंदोलन आरक्षण के लिए किया था भाजपा, कांग्रेस को हराने के लिए। कांग्रेस की एक म्यान में हार्दिक और अल्पेश दोनों हैं। हार्दिक ओबीसी की बात करते हैं तो अल्पेश विरोध में हैं। आखिर में आकर यही करना था तो आंदोलन में मारे गए समाज के 14 युवकों की मौत का जिम्मेदार कौन है। कांग्रेस के शासन में 1984 के आरक्षण आंदोलन में मरे 58 लोगों के लिए मुआवजा क्यों नहीं दिया जा रहा।