
ईडी डोजियर के मुताबिक काले धन को सफेद करने के 4000 ठोस मामले सामने आए हैं। ईडी ने नवंबर 2016 से सितंबर 2017 के बीच इन सभी मामलों में फेमा और पीएमएलए के तहत केस दर्ज किया है। ईडी के मुताबिक एजेंसी को अबतक 11000 करोड़ रुपए के हेरफेर का सुबूत मिला है। इस मुहीम में ईडी ने अबतक 800 रेड की हैं जिनमें देश और विदेशों के मनी ट्रांस्फर चैनल के सुराग मिले हैं। ईडी ने इस सिलसिले में अबतक 54 लोगों को गिरफ्तार किया है जबकि करीब 600 कंपनियों से उनके धंधे का ब्यौरा मांगा गया है।
ईडी के उच्चपदस्थ सूत्रों ने अमर उजाला को बताया कि इस गोरखधंधे में संयुक्त अरब अमीरात, दुबई, मलेशिया और हांगकांग जैसे कई देशों के मनी चैनल का इस्तेमाल किया गया है। ईडी ने अन्य सरकारी एजेंसियों की मदद से इन देशों को धन की आवाजाही की जानकारी देने के लिए अनुरोध पत्र (लेटर रोगेटरी) भेजा है। डोजियर के मुताबिक नोटबंदी के तुरंत बाद काले धन के सफेद करने का बड़ा तंत्र सक्रिय हो गया। स्टॉक मार्केट, खनन व्यापार, शेल कंपनी और सहकारी संस्थानों का जम कर इस्तेमाल किया गया।
सूत्रों के मुताबिक इसमें बैंकिंग चैनल का भी इस्तेमाल हुआ है जिसकी जांच चल रही है। साथ ही नोटबंदी के बाद विदेशी मुद्रा विनिमय की पड़ताल भी की जा रही है। सूत्रों ने बताया कि डोजियर में आए जितने नाम हैं सबको अदालत में अपनी बेगुनाही साबित करने का मौका मिलेगा। ईडी मौजूद सुबूतों के आधार पर अपना पक्ष मजबूत कर रही है। केंद्र सरकार के काले धन के खिलाफ इसे बड़ी मुहीम माना जा रहा है।
उधर सीबीआई ने भी नोटबंदी के बाद काले धन की हेराफेरी के मामले में अबतक 77 एफआईआर दर्ज की है। इनमें 180 सरकारी कर्मचारियों समेत 307 लोगों के खिलाफ जांच चल रही है। ईडी सीबीआई के इन केसों से जुड़े फेरा और फेमा संबंधी अपराधों की अलग से जांच करेगा।
ईडी की इस कार्रवाई पर गृहराज्य मंत्री किरेन रिजीजू का बयान
यही वजह है कि विपक्षी दलों ने नोटबंदी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। उन्हें मालूम है कि सरकार की विभिन्न एजेंसियां काले धन के खिलाफ काम कर रही है। इसलिए विपक्ष का शोर मचाना स्वभाविक है। उन्हे मालूम है कि आज नहीं तो कल सच सामने आ जाएगा।