
रजनेश ने एसपी जेएस रंधावा को दी शिकायत में कहा है कि 2011 में उसके भाई नरेश कुमार के माध्यम से डीएलएफ कंपनी ने कर्ण लेक पर सेमिनार लगाया था। कंपनी के सेल्स मैनेजर यमन संधू ने कहा था कि प्रोजेक्ट का कब्जा व फ्लोर का पजेशन 24 माह में दे दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि महेश गुप्ता के नाम से विला खरीदा हुआ है, जिसे आपके नाम ट्रांसफर करवा दिया जाएगा। इस पर उसने विला खरीद लिया और 78 लाख रुपये की राशि उसने एक्सिस बैंक से लोन लेकर कंपनी को दिया, जबकि शेष 62 लाख रुपये अपने खाते से अदा किए। मगर कंपनी ने पांच साल बाद भी उन्हें पजेशन नहीं दिया।
अधिकारियों के दुर्व्यवहार से आहत पिता भी चल बसे
पीड़ित का कहना है कि 12 नवंबर 2016 को वह अपने पिता ईश्वर सिह व भाई नरेश के साथ जब कंपनियों के अधिकारी राकेश केरवल, अन्नंता रघुवंशी व वीरेंद्र मोहन साहनी से मिले और अपने पैसे की बात की। उक्त लोगों ने उनके साथ गाली-गलौच की और कार्यालय से बाहर निकाल दिया। कंपनी के अधिकारियों के व्यवहार से आहत उसके पिता ईश्वर सिह की 1 दिसंबर 2016 को मौत हो गई। वही तनाव के कारण वह खुद भी बीमार चल रही हैं।
इन लोगों पर हुआ धोखाधड़ी का मामला दर्ज
पुलिस ने डीएलएफ कंपनी के जीएम सेल्स यमन संधू, एवी प्रेसीडेंट वीरेंद्र मोहन साहनी, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर राकेश केरवल, डीएलएफ सेल्स दिल्ली की डायरेक्टर अन्नंता रघुवंशी, जीएम कमल रेखी व चेयरमैन प्रभात कुमार के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है।