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भाजपा नेता भी शामिल है
श्री मिश्रा ने कहा कि जिस तरह से पीडि़ता की 48 घंटे तक तीन थाना क्षेत्रों में रिपोर्ट नहीं लिखी गई, प्रारंभिक मेडिकल रिपोर्ट में जानबूझ कर अविश्वस्त टिप्पणियां अंकित की गईं, यह स्पष्टतः एक गंभीर साजिश है, जिसमें सत्तासीन भाजपा के प्रभावी नेता शामिल है? लिहाजा, पीडि़ता की रिपोर्ट नहीं लिखने वाले पुलिस थानों और इन तीनों ही थानों के निलंबित टी.आई. व महिला चिकित्सक के कॉल डिटेल्स की सीडीआर सार्वजनिक कर उसे जांच की परिधि में शामिल किया जाये कि वह कौन भाजपा नेता है, जिसके दबाव में तीनों ही थानों में पीडि़ता की रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई व प्रारंभिक मेडिकल रिपोर्ट को संदिग्ध बताने की साजिश रची गई?
श्री मिश्रा ने मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान से आग्रह किया है कि यदि वे अपनी इस भांजी के साथ हुए गैंगरेप को लेकर वास्तव में गंभीर हैं तो तत्काल प्रभाव से प्रारंभिक मेडिकल रिपोर्ट देने वाली महिला चिकित्सक की डिग्री जब्त कर उसके विरूद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज करायें, ताकि किसी और भांजियों को इस तरह के सामाजिक अपराध के माध्यम से अपमानित करने वाले अन्य षड्यंत्रकारियों को दिखाई देने वाला सबक मिल सके।
व्यापमं: नम्रता डामोर केस में भी बदली भी मेडिकल रिपोर्ट
व्यापमं महाघोटाले के दौरान भी इंदौर मेडिकल कॉलेज की छात्रा नम्रता डामोर की हत्या को सरकार के दबाव में इसी प्रकरण के अनुरूप संदिग्ध कर दिया गया था, जिसका खुलासा आज तक सीबीआई भी नहीं कर पाई है। इस बहुचर्चित हत्या के बाद उज्जैन में नम्रता डामोर के शव का पोस्ट मार्टम करने वाले तीन डॉक्टरों के पैनल में शामिल डॉ. बी.बी. पुरोहित द्वारा दी गई रिपोर्ट में स्पष्टतः कहा गया था कि नम्रता की नाक और मुंह को जोर से दबाया गया था व उसके चेहरे पर नाखून के निशान थे, दम घुटने से उसकी मौत हुई थी, पैनल ने दुष्कर्म की संभावना भी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बतायी थी, किन्तु स्थानीय पुलिस ने इस रिपोर्ट को नकारते हुए प्रकरण को आत्महत्या में क्यों, किसलिए और किसके दबाव में बदल दिया, रहस्य बना हुआ है?