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श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक पहली वजह यह है कि केंद्र सरकार ने कर्मचारियों के भविष्य निधि (ईपीएफ) खाते में ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) यूनिटें सीधे हस्तांतरित करने का फैसला किया है। दूसरा प्रमुख कारण कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के निवेश पर होने वाली आय में आ रही गिरावट है। सूत्र बताते हैं कि बाजार में बांड पर हुए निवेश पर रिटर्न की दर कम रहने की वजह से संगठन के लिए कर्मचारी भविष्य निधि पर ब्याज की मौजूदा दर को बनाए रखना मुश्किल हो सकता है।
हालांकि अभी भविष्य निधि संगठन ने चालू वित्त वर्ष की कुल आमदनी का अनुमान नहीं लगाया है। इसी आय के आधार पर ही ईपीएफओ किसी वर्ष में भविष्य निधि पर दिए जाने वाले ब्याज की दर तय करता है। हाल ही में संगठन ने कर्मचारी भविष्य निधि में अंशदान करने वाले सदस्यों के खाते में नकद के स्थान पर ईटीएफ हस्तांतरित करने का फैसला किया है। इसलिए अब कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के सभी सदस्यों के खाते में बैलेंस दो रूपों- नकद और ईटीएफ की यूनिट में देखा जा सकेगा।
सीधे पीएफ खाते में आएगा लाभांश
ईटीएफ के भविष्य निधि में योगदान के बाद सदस्यों के पास अपना पैसा निकालने का विकल्प रहेगा। यह धनराशि ईटीएफ यूनिट को बेचकर अथवा नकदी वाले हिस्से यानी दोनों में से किसी से भी निकाली जा सकेगी। इतना ही नहीं ईटीएफ पर मिलने वाले लाभांश को भी सदस्यों के खाते में ही ट्रांसफर कर दिया जाएगा।
अन्य स्कीमों की दर से रहे तालमेल
वित्त मंत्रालय भी लगातार इस बात की कोशिश करता रहा है कि कर्मचारी भविष्य निधि पर मिलने वाले ब्याज की दर अन्य लघु बचत योजनाओं के साथ मेल खानी चाहिए। खासतौर पर लोक भविष्य निधि यानी पीपीएफ में मिलने वाली ब्याज दर भी ईपीएफ की दर के साथ तालमेल में होनी चाहिए।