BHOPAL: पद्मावती फिल्म रिलीज होने के बाद हिट हो या सुपर हिट, वो बाद की बात है. फ़िलहाल देश भर में इस फिल्म को लेकर प्रदर्शन जारी हैं. वाराणसी से लेकर राजस्थान तक धरने दिए जा रहे हैं. लगता है फिल्म 'पद्मावती' जल्द ही राष्ट्रीय स्तर की बहस का मुद्दा बनने वाली है. आए दिन कोई न कोई नेता पद्मावती के संबंध में बयान दे रहा है. अब इस लिस्ट में हरियाणा का नाम भी जुड़ गया है.
दरअसल हरियाणा के दो मंत्री इस मुद्दे पर खुलकर सामने आ गए हैं. ये दो मंत्री हैं : स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज और उद्योग मंत्री विपुल गोयल. अनिल विज ने तो पहले ही ट्वीट करके कह दिया था कि इतिहास से छेड़छाड़ करने वाली इस फिल्म को रिलीज नहीं होने दिया जाएगा. उन्होंने लिखा था कि हरियाणा सरकार फिल्म पर बैन लगाने के लिए सेंसर बोर्ड से बात करेगी. "आक्रांताओं को देश में महिमामंडित करने की इजाजत किसी भी कीमत पर नहीं दी जा सकती. भंसाली ने रानी पद्मावती के चरित्र से छेड़छाड़ करने की कोशिश की है."
जैसे-जैसे फिल्म की रिलीज डेट पास आ रही है वैसे-वैसे मुंबई में राजपूत संगठन के लोगों ने फिल्म 'पद्मावती' लेकर प्रदर्शन तेज कर दिया है. बीते रविवार को राजपूत संगठनों के लोग संजय लीला भंसाली के घर और दफ्तर के बाहर प्रदर्शन करने पहुंच गए. लेकिन पुलिस ने उन्हें भंसाली के घर और आफिस पहुंचने के पहले ही हिरासत में ले लिया. पुलिस को इस बात का अंदेशा था कि कुछ लोग फिल्म के विरोध में संजय लीला भंसाली के यहां प्रदर्शन कर सकते हैं और संपत्ति को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
ऐसे प्रदर्शनों के चलते पुलिस ने उनके घर और आफिस के बाहर और सुरक्षा बढ़ा दी है. जैसे ही प्रदर्शनकारी उनके घर और आफिस के पास पहुंचने की कोशिश करते हैं तो पुलिस उन्हें हिरासत में ले लेती है. सबकी मांग है कि फिल्म को रिलीज करने से पहले उसे राजपूत समाज को दिखाई जाए, ताकि राजपूत संगठन संतुष्ट सके. उन्हें विश्वास हो सके कि फिल्म में रानी पद्मावती का अलाउद्दीन खिलजी के साथ कोई भी ड्रीम स्वीकेंस नहीं है.
अब हरियाणा के उद्योग मंत्री विपुल गोयल ने भी फिल्म रिलीज को रोकने के लिए केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को पत्र लिखा है. इसके अलावा उन्होंने एक पत्र संजय लीला भंसाली को भी भेजा है. इस पत्र में उन्होंने एतिहासिक तथ्यों को परखने की अपील की है. उनका कहना है कि फिल्म के ट्रेलर में अलाउद्दीन ख़िलजी का महिमामंडन किया गया है, जो कि गलत है.उन्होंने भंसाली से अपील की है कि वो भारत के गौरवमयी इतिहास को आगे रखें ना कि फिल्म हिट कराने के लिए उसके तथ्यों के साथ छेड़छाड़ करें.
वहीं राजपूत समाज में भी रोष है कि पद्मावती हिंदू समाज की आदर्श हैं. उनका चरित्र मोड़ तरोड़ कर पेश ना किया जाए. हालांकि संजय लीला भंसाली एक वीडियो के द्वारा यह स्पष्ट कर चुके हैं कि फिल्म में ऐसा कोई सीन नहीं है. लेकिन विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है.