मुरादाबाद। वक्त के साथ बदलती जरूरतों से तालमेल बैठाने की कोशिश में रेलवे पूरी तरह से जुटा हुआ है। इसी के साथ स्टाफ को बहुउद्देशीय भूमिकाओं के लिए प्रशिक्षित करने का दौर चल पड़ा है। इसी कड़ी में अब चलती ट्रेन में टीटीई डॉक्टर की भूमिका में भी नजर आएंगे। सांस फूलने या ऑक्सीजन की जरूरत पड़ने पर सिलेंडर भी लगाएंगे। इसके लिए ट्रेन में ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था की जाएगी। ऑक्सीजन सिलेंडर लगाने का टीटीई को प्रशिक्षण दिया जाएगा। साथ ही वे चलती ट्रेन में रेलवे डॉक्टर को फोन कर बीमारी के संबंध में जानकारी लेकर रोगी का इलाज करेंगे।
दो साल पहले राजधानी एक्सप्रेस से जयपुर जा रहे एक यात्री को सांस लेने में परेशानी हुई थी। उसे ऑक्सीजन की आवश्यकता थी, लेकिन चलती ट्रेन में न डॉक्टर उपलब्ध हो सका और न ही सिलेंडर। मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने पांच महीने पहले रेलवे बोर्ड को आदेश दिया था कि ट्रेनों में ऑक्सीजन की व्यवस्था करे और बीमार यात्री को यह सुविधा उपलब्ध कराए। इस आदेश के बाद बोर्ड स्तर पर इसके लिए कार्ययोजना बनाई गई।
इसमें तय किया गया कि ट्रेन के टीटीई व अन्य स्टाफ को ऑक्सीजन लगाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। उस राय के अनुसार बीमार यात्री को टीटीई इलाज करेंगे। गंभीर रोगी के लिए अस्पताल वाले शहर के स्टेशन पर ट्रेन रोकी जाएगी। रेल प्रशासन इस व्यवस्था को लागू करने की तैयारी कर चुका है। मंडल रेल अस्पताल प्रशासन को जिला मुख्यालय के प्रमुख प्राइवेट अस्पतालों से अनुबंध करने के आदेश दिए गए हैं जहां बीमार रेल कर्मियों का नि:शुल्क और बीमार यात्री का शुल्क लेकर इलाज होगा।
रेल मंडल में आने वाले सभी जिला मुख्यालय के बड़े अस्पतालों से अनुबंध करने का काम किया जा रहा है। ट्रेनों में बीमार यात्री को ऑक्सीजन उपलब्ध कराने को लेकर मुख्यालय स्तर पर काम किया जा रहा है। अनुबंध समेत अन्य व्यवस्थाएं पूरी होने पर इसे लागू किया जाना प्रस्तावित है।
डॉ. सीएस रावत, रेलवे के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक