भोपाल। पिछले 12 सालों में 4000 से ज्यादा CHITFUND, MLM, PONZI SCHEME चलाने वाली कंपनियों ने नागरिकों को ज्यादा ब्याज / मोटो मुनाफा का लालच दिया और उनकी जमा पूंजी लेकर भाग गईं। पुलिस ने इन कंपनियों के खिलाफ कोई खास प्रभावी कार्रवाई नहीं की। चिटफंड पीड़ित मध्यप्रदेश के लगभग हर शहर में मौजूद हैं। विधानसभा में ध्यानाकर्षण चर्चा के दौरान ऐसी कंपनियों का मामला उठाया गया। तय हुआ कि पुलिस मुख्यालय में एडीजी के नेतृत्व में एक सेल का गठन किया जाएगा जो इस तरह की कंपनी और योजनाओं पर निरंतर निगरानी करेगी।
विधानसभा में ध्यानाकर्षण चर्चा के दौरान मंदसौर विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया ने चिटफंड कंपनियों द्वारा निवेशकों की राशि हड़पने का मुद्दा उठाया था। सिसोदिया ने कहा कि मंदसौर-नीमच जिले में चिटफंड कंपनियां करोड़ों रुपए हड़प चुकी हैं। जब निवेशक इसकी शिकायत पुलिस से करते हैं तो पुलिस कंपनी द्वारा स्थानीय स्तर पर बनाए गए एजेंट पर एफआईआर करती है।
कंपनियां क्षेत्र में पढ़े-लिखे बेरोजगारों को अपना एजेंट बनाती हैं। कंपनी के भागने के बाद सभी निवेशक और पुलिस एजेंटों पर दबाव बनाते हैं। इस वजह से क्षेत्र में करीब 19 एजेंट ने आत्महत्या कर ली है। इस पर गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि इस संबंध में मंदसौर-नीमच सहित अन्य जिलों में जागरूकता अभियान चलाया गया है। चिटफंड फर्जीवाड़े रोकने के लिए मप्र सरकार ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को लिखा था। इसके बाद आरबीआई ने मप्र के 4500 नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों को बंद कर दिया है। गृह मंत्री ने कहा कि चिटफंड कंपनियों के मामले में राज्य सरकार के अधिकार सीमित हैं।
इसके बाद मुरलीधर पाटीदार, जसवंत सिंह हाड़ा, दिलीप सिंह परिहार सहित अन्य सदस्यों के अनुरोध पर विधानसभा उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह ने गृह मंत्री को निर्देश दिए कि चिटफंड कंपनियों की मॉनीटरिंग की कोई व्यवस्था बनाई जाए। उपाध्यक्ष के निर्देश के बाद गृह मंत्री ने कहा कि चिटफंड कंपनियों की सतत मॉनीटरिंग के लिए पुलिस मुख्यालय में एडीजी के नेतृत्व एक सेल गठित की जाएगी।