उपदेश अवस्थी/भोपाल। इसमें कोई दोराय नहीं कि आम जनता में ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रति एक उत्सुकता देखी जा रही है परंतु सीएम कैंडिडेट के मामले में कमलनाथ द्वारा सपोर्ट कर दिए जाने के बाद सिंधिया की सक्रियता में अचानक कमी देखी जा रही है। उस समय जबकि प्रदेश का हर सक्रिय नागरिक शिवराज सिंह सरकार की समीक्षा कर रहा है, ज्योतिरादित्य सिंधिया जनता के बीच कुछ भी नया कर पाने में असमर्थ नजर आ रहे हैं। ताजा घटनाओं पर देरी से आने वाले ट्वीट पर सवार होकर शिवराज सिंह से मुकाबला की प्लानिंग सफल होगी, उम्मीद काफी कम है।
उम्मीद की किरण हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया
शिवराज सिंह चौहान के तीसरे कार्यकाल ने जनता के बीच सरकार के प्रति ठीक उसी तरह का असंतोष पैदा कर दिया है जैसा कि दिग्विजय सिंह के दूसरे कार्यकाल के समय हुआ था। ज्योतिरादित्य सिंधिया 2013 के विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश की जनता के सामने आए। लोगों को उम्मीद है कि वो एक अच्छे इंसान होंगे। शुरूआती सभाओं मेें लोग केवल यह देखने के लिए गए कि ज्योतिरादित्य सिंधिया नजदीक से कैसे दिखते हैं परंतु उनकी भाषण देने की कला ने लोगों का दिल जीता और वो मध्यप्रदेश के लोकप्रिय नेता बनते चले गए। मध्यप्रदेश की आम जनता ने ज्योतिरादित्य सिंधिया से काफी उम्मीदें लगा रखीं हैं।
कमलनाथ ज्यादा सक्रिय नजर आते हैं
मप्र कांग्रेस में जब सीएम कैंडिडेट के नाम की चर्चा शुरू हुई तो ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम अपने आप सबसे ऊपर आ गया। छिंदवाड़ा सांसद कमलनाथ ने भी अपने लिए जोर लगाया परंतु उन्हे वो रेस्पांस नहीं मिला। कांग्रेस संगठन में कमलनाथ समर्थकों की कमी नहीं है लेकिन उनके सामने सबसे बड़ा सवाल था सक्रियता। कमलनाथ ने सांसद रहते हुए मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह सरकार पर कभी कोई हमला नहीं किया था। कमलनाथ की इमेज एक नेता की कम कारोबारी की ज्यादा थी जो अपने कारोबार बचाने के लिए राजनीति करता है परंतु पिछले कुछ समय में कमलनाथ तेजी से सक्रिय हुए हैं। वो लगभग हर मामले में शिवराज सिंह सरकार को घेर लेते हैं। हालांकि फिलहाल सोशल मीडिया पर ही सक्रिय हैं परंतु सुर्खियों में बने हुए हैं। पिछले 3 माह का अध्ययन करें तो कमलनाथ की तुलना में ज्योतिरादित्य सिंधिया की सक्रियता कम नजर आती है।
जनता क्या चाहती है
आम नागरिकों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया से उम्मीदें जोड़ लीं हैं। अब केवल ट्वीटर पर ताजा मामलों को लेकर प्रतिक्रियाएं देने से काम नहीं चलने वाला। लोग सिंधिया को अपने बीच देखना चाहते हैं। व्यापमं घोटाले में दिग्विजय सिंह ने कई खुलासे किए थे परंतु सिंधिया के नाम ऐसा कोई रिकॉर्ड दर्ज नहीं है। यदि किसान आंदोलन का प्रसंग छोड़ दें तो सिंधिया ना तो आम जनता की लड़ाई में उनके साथ नजर आ रहे हैं और ना ही शिवराज सिंह सरकार के संदर्भ में कुछ नया खुलासा कर पा रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी उनकी उपस्थिति कमलनाथ और दूसरे नेताओं के बाद दर्ज होती है। आम जनता चाहती है कि सिंधिया उनके बीच उपलब्ध हों। स्टार प्रचारक की तरह आना जाना सिंधिया के लिए नुक्सानदायक हो सकता है।
श्रीमंत के चापलूस बिगाड़ रहे हैं माहौल
मप्र की जनता और कांग्रेस में ज्योतिरादित्य सिंधिया की स्वीकार्यता आ जाने के बाद सिंधिया के चापलूसों की फौज तेजी से सक्रिय हो गई है। वो बात बात पर 'श्रीमंत' और 'महाराज' शब्दों का उपयोग कर रही है। यह दो ऐसे शब्द हैं जिन्होंने सिंधिया परिवार के लोगों को आम जनता से दूर कर दिया है। लोग 'श्रीमंत' और 'महाराज' से सहज ही नफरत करने लग जाते हैं। वैसे भी सिंधिया के खाते में कोई खास दमदार समर्थक नेताओं की भीड़ नहीं है। उनकी टीम कांग्रेस में काफी कमजोर मानी जाती है। बहुत जरूरी है कि सिंधिया तत्काल हालात पर नियंत्रण करें अन्यथा इतिहास फिर से दोहराया जा सकता है। सब जानते हैं कि कांग्रेसी नेताओं का एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो सिंधिया को सीएम बनते कतई नहीं देखना चाहता।