जिस LED को मोदी ने प्रमोट किया, उसी कारोबार में कालाधन का बड़ा निवेश है

Bhopal Samachar
नई दिल्ली। नोटबंदी के बावजूद देश में कालाधन नहीं मिला। अब सरकार एक एक खाते में कालाधन की तलाश कर रही है काले कारोबारियों पर मोदी की यह सर्जिकल स्ट्राइक फेल रही क्योंकि उन्होंने अपना कालाधन नकदी के रूप में नहीं बल्कि कच्चे माल के रूप में कंवर्ट कर लिया था। जी हां, जिन एलईडी बल्बों का पीएम नरेंद्र मोदी ने अभियान चलाकर विज्ञापन किया उसी कारोबार में जमकर कालाधन लगाया गया है। एलईडी बल्बों के 76 प्रतिशत बाजार पर काले कारोबारियों का कब्जा है। यह कोई राजनीतिक आरोप नहीं बल्कि नीलसन की स्टडी रिपोर्ट का नतीजा है। 

नीलसन ने अपनी स्टडी में नई दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद और हैदराबाद में बिजली के सामान की खुदरा बिक्री करने वाली 200 दुकानों को शामिल किया। इसमें पाया गया कि एलईडी बल्ब के 76 फीसदी ब्रांड और एलईडी डाउनलाइटर के 71 फीसदी ब्रांडों ने काला कारोबार किया है। वो सरकार और उपभोक्ताओं को धोखा दे रहे हैं। एक तरफ घटिया क्वालिटी का माल बेच रहे हैं, दूसरी तरफ टैक्स भी अदा नहीं कर रहे क्योंकि उनका पूरा कारोबार ही अवैध चल रहा है। 

इलेक्‍ट्रिक लैंप एंड कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एलकोमा) के मुताबिक दिल्ली में बीआईएस मानकों के सबसे ज्यादा उल्लंघन के मामले सामने आए हैं। देश के प्रमुख बाजारों में कराए गए सर्वे में पाया गया है कि एलईडी बल्ब के 48 फीसद ब्रांडों के प्रोडक्ट पर उसे बनाने वाली कंपनी के पते का जिक्र नहीं है। 31 फीसद ब्रांड में उसे तैयार करने वाली कंपनी (मैन्युफैक्चरर) का नाम ही नहीं है। जाहिर है, इनकी मैन्युफैक्चरिंग गैर-कानूनी तरीके से हो रही है। इसमें कालाधन लगा है और यह पूरा का पूरा कारोबार ही अवैध है। 

इसी तरह एलईडी डाउनलाइटर्स के मामले में जो नमूने लिए गए, उनमें से 45 फीसद ब्रांड ऐसे पाए गए, जिनकी पैकिंग पर मैन्युफैक्चरर का नाम नहीं है। 51 फीसद ब्रांड के प्रोडक्ट पर उसे तैयार करने वाली कंपनी का पता नहीं है। अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में बिकने वाले एलईडी बल्ब के तकरीबन तीन-चौथाई ब्रांड (जिन्हें सर्वे में शामिल किया गया) बीआईएस मानकों के अनुरूप नहीं हैं। एलईडी डाउनलाइटर्स के मामले में भी यही हकीकत सामने आई। 

10 हजार करोड़ का कारोबार, 7000 करोड़ का कालाधन
एलकोमा के मुताबिक देश में एलईडी का कुल बाजार तकरीबन 10 हजार करोड़ रुपये का है। सभी तरह के कामकाजी जगह, दफ्तर और घरों में ब़़डे पैमाने पर एलईडी बल्ब इस्तेमाल होते हैं। पूरे बाजार में इनकी हिस्सेदारी लगभग 50 फीसद है। एलकोमा के अध्यक्ष एवं हैलोनिक्स टेक्नोलॉजीज के एमडी राकेश जुत्शी ने कहा, 'नियमों और मानकों का उल्लंघन करके एलईडी बल्ब और डाउनलाइटर्स का कारोबार करने वाले ब्रांड इस बाजार में वाजिब प्रतिस्पर्धा के लिए खतरा हैं, खास तौर पर वैसी कंपनियों के लिए जो सभी तरह के कानून और उपभोक्ता सुरक्षा के मानकों का अनुपालन करती हैं।'

कड़ी कार्रवाई की जरूरत
फिलिप्स लाइटिंग इंडिया के उपाध्यक्ष एवं एमडी सुमीत जोशी ने कहा, 'एलकोमा की अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2010 में एलईडी लाइटिंग का भारतीय बाजार महज 500 करोड़ रुपये का था, जो फिलहाल 10 हजार करोड़ रुपये का हो गया है।यह 22 हजार करोड़ रुपये की पूरी लाइटिंग इंडस्ट्री का 45 फीसद से ज्यादा है। इसे देखते हुए सरकार को चाहिए कि वह नकली और गैर-ब्रांडेड प्रोडक्ट के खिलाफ कार्रवाई करे।'

सरकार की पहल
सरकार ने 'उजाला' स्कीम के तहत देशभर में 77 करोड़ पारंपरिक बल्बों की जगह एलईडी बल्ब इस्तेमाल करने का लक्ष्य रखा है। इसे देखते हुए ऊर्जा दक्षता ब्यूरो ([बीईई)] ने एलईडी बल्बों की स्टार रेटिंग अनिवार्य कर दी है, ताकि यह पक्का किया जा सके कि उपभोक्ताओं तक केवल अच्छी क्वालिटी के प्रोडक्ट पहुंचें। बावजूद इसके बाजार में गैर-कानूनी उत्पादों की भरमार है।

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