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मामले पर शुक्रवार को सुनवाई के दौरान अधिवक्ता आदित्य संघी ने कोर्ट को बताया कि उक्त कोटे के तहत आवंटित सीटों में भारी गड़बडिय़ां की गईं हैं और नियमों को ताक पर रखकर बाहरी छात्रों और अयोग्य उम्मीदवारों को प्रवेश दिया गया है। इसी वजह से सरकार दो माह से जवाब पेश नहीं कर रही है। कोर्ट ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए उक्त आदेश दिए।
उज्जैन के आदिश जैन, खंडवा के प्रांशु अग्रवाल सहित करीब डेढ़ दर्जन छात्रों ने याचिकाएं दायर कर आरोप लगाया है कि 9 एवं 10 सितंबर को लेफ्ट आउट राउंड और मॉप-अप राउंड की करीब 163 सीटों के लिए काउंसलिंग हुई। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने कोर्ट को बताया कि मॉप अप राउंड की सीटों पर एडमिशन के लिए 10 सितंबर को शाम 7 बजे ऑनलाइन सूची जारी की गई। एडमिशन के लिए उम्मीदवारों को संबंधित कॉलेजों में 12 बजे के पहले पहुंचना था। इतने कम समय में पहुंचना नामुमकिन था।
उन्होंने बताया कि कॉलेजों को छूट थी कि यदि चयनित उम्मीदवार रात 11 बजकर 59 मिनट तक नहीं पहुंचे तो जो उपलब्ध हों उन्हें आवंटित कर दी जाए। कोर्ट को बताया गया कि इस राउंड के लिए जो सूची जारी की गई, उनमें से एक भी उम्मीदवार को प्रवेश नहीं दिया गया। उनके स्थान पर बाहरी छात्रों और अयोग्य को प्रवेश दिया गया। इसी तरह याचिका में आरोप है कि एनआरआई कोटे की 90 प्रतिशत सीटों के आवंटन में नियमों की अनदेखी की गई है।
उच्चस्तरीय जांच हो
नियम के अनुसार सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों में मध्य प्रदेश के मूल निवासी छात्र को ही प्राथमिकता देने का प्रावधान है। सुप्रीम कोर्ट ने भी ऐसा करने के निर्देश दिए। याचिका में मांग की गई कि आखिरी राउंड की आवंटित सीटों को निरस्त कर पूरी प्रक्रिया की उच्च स्तरीय जांच की जाए।